नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र चार अगस्त से शुरू होगा और अधिकारियों ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार निजी स्कूलों द्वारा शुल्क में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है।
अधिकारियों के अनुसार, यह सत्र पांच दिनों तक चलेगा और कागज रहित होगा।
राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है और आगामी मानसून सत्र से पहले इसके पूरा होने की उम्मीद है, जिससे विधायी कार्यों के डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और सदन की कार्यवाही और विधायी दस्तावेजों तक निर्बाध डिजिटल पहुंच संभव होगी।
इस सत्र में सरकार द्वारा प्रमुख विधेयक और नीतियां पेश किए जाने की संभावना है।
अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता विधेयक, 2025 भी विधानसभा में लाया जाएगा और इस पर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के बीच तीखी बहस होने की उम्मीद है।
मंत्रिमंडल द्वारा 29 अप्रैल को स्वीकृत अध्यादेश के अनुसार, मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के लिए सख्त दंड का प्रावधान है, जिसमें शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार खोना भी शामिल है।
पहली बार अपराध करने पर स्कूल पर एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। बार-बार अपराध करने पर जुर्माना दो लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक हो जाएगा।
अध्यादेश में प्रस्ताव है कि यदि स्कूल निर्धारित समय सीमा के भीतर राशि वापस नहीं करता है, तो 20 दिनों के बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिनों के बाद तीन गुना और हर 20 दिन की देरी के साथ बढ़ता रहेगा। इसमें बार-बार उल्लंघन करने वालों पर दंड का भी प्रावधान है।
मसौदा अध्यादेश के अनुसार, जो लोग बार-बार नियमों का उल्लंघन करते पाए जाएंगे उन्हें स्कूल प्रबंधन में आधिकारिक पदों पर रहने से भी रोका जा सकता है।
इसके अतिरिक्त स्कूल प्रबंधन भविष्य में शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी खो सकता है।
भाषा संतोष प्रशांत
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