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Tuesday, July 29, 2025

सर्जरी के दौरान प्रसूता के पेट में छोड़ा कपड़ा, आपरेशन करके निकाला गया

Newsसर्जरी के दौरान प्रसूता के पेट में छोड़ा कपड़ा, आपरेशन करके निकाला गया

गाजियाबाद (उप्र), 28 जुलाई (भाषा) गाजियाबाद निवासी एक महिला ने सर्जरी से शिशु को जन्म दिया लेकिन उसके बाद से उसकी तबीयत खराब रहने लगी और डेढ़ माह बाद महिला के शरीर में कथित तौर पर तौलिए के आकार का कपड़ा होने की बात सामने आई।

गाजियाबाद जिले में दिव्या खुराना ने छह जून को सर्जरी के जरिये बेटे को जन्म दिया था। तीन दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिली मगर तबीयत खराब रहने पर परिजन परेशान हो गए।

दिव्या के पति चिराग कटारिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि चिकित्सक इतनी बड़ी लापरवाही करेंगे। उन्होंने बताया कि 10 जुलाई को जांच में दिव्या के पेट में तौलिये के आकार का कपड़ा होने का पता चला और 11 जुलाई को दिल्ली के पटपड़गंज इलाके के एक निजी अस्पताल में लगभग तीन घंटे चली सर्जरी के दौरान इसे निकाला गया।

एक निजी फर्म में वैज्ञानिक और पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत चिराग कटारिया ने बताया, ‘मेरी पत्नी (दिव्या खुराना) की सिजेरियन डिलीवरी गाजियाबाद स्थित एक निजी नर्सिंग होम में हुई। डॉक्टर निशी सिरोही (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और उनके पति यह नर्सिंग होम चलाते हैं। मेरी पत्नी की सर्जरी छह जून को हुई और एक बेटे का जन्म हुआ। दिव्या को नौ जून को नर्सिंग होम से छुट्टी दे दी गई। उसके बाद दिव्या को 15 दिनों तक 102 डिग्री बुखार रहा।”

कटारिया ने बताया, ‘‘ दिव्या को सात-आठ दिनों तक एंटीबायोटिक दवाओं के ड्रिप लगाए गए मगर उन्हें भयानक सिरदर्द और सीने में तेज दर्द हुआ। इसके बाद उन्हें पेट में तेज दर्द हुआ और वह एक बार बेहोश भी हुई जिससे शक हुआ कि कुछ जरूर गड़बड़ है।’’

कटारिया ने बताया कि पत्नी की खराब होती सेहत को देखते हुए उन्होंने डॉक्टर निशी सिरोही से सलाह ली जिसपर डॉक्टर ने उनसे दिव्या के खून की जांच करवाने को कहा।

उन्होंने बताया, ”जांच रिपोर्ट में टीएलसी (टोटल ल्यूकोसाइट काउंट – वह रक्त परीक्षण जो खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या नापता है) सामान्य काउंट आठ हजार के मुकाबले 18 हजार था। रिपोर्ट देखकर डॉक्टर सिरोही भी घबरा गयीं। उसके बाद उन्होंने मुझे एक निजी पैथोलॉजी में पूरे पेट का अल्ट्रासाउंड करवाने को कहा।’’

कटारिया ने बताया, ”निजी पैथोलॉजी में अल्ट्रासाउंड के बाद मुझे एक्स-रे और उसके बाद सीटी-स्कैन कराने को कहा गया। जांच के बाद जब मैंने अपनी पत्नी की रिपोर्ट मांगी तो मुझे वे रिपोर्ट नहीं दी।’’

कटारिया ने दावा किया कि पैथोलॉजी ने उन्हें रिपोर्ट न देने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने पुलिस को बुलाने की चेतावनी दी तो रिपोर्ट उन्हें सौंप दी गईं।

उन्होंने कहा,‘‘ जब मैं डॉक्टर सिरोही के क्लिनिक पहुंचा, तो वह सर्जरी करने पर अड़ गयी। जब मैंने कहा कि आपके नर्सिंग होम में सर्जरी करने की सुविधा नहीं है तो उन्होंने कहा कि वह सिरिंज से मवाद जैसा पदार्थ निकाल देंगी। जब मैंने कहा कि मैं दूसरे डॉक्टर से भी राय लेना चाहता हूं तो उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है।’’

कटारिया ने बताया कि उन्होंने गाजियाबाद में एक अन्य चिकित्सक का अपॉइंटमेंट लिया और उस डॉक्टर ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी को उसी रात अस्पताल में भर्ती करना होगा, अगले दिन (दिव्या के जीवित रहने की) की कोई गारंटी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 10 जुलाई की रात को अपनी पत्नी को पटपड़गंज (दिल्ली) के एक अस्पताल में भर्ती कराया। यहां 10 जुलाई की रात को ही सभी जांचें शुरू हो गईं। जांचों से साफ जाहिर हुआ कि दिव्या के पेट में कोई चीज पड़ी है। अगले दिन सर्जरी हुई। लगभग तीन घंटे तक चली सर्जरी के बाद मेरी पत्नी के शरीर के अंदर से एक तौलिये के आकार का कपड़ा निकाला गया। कपड़े का वह टुकड़ा डेढ़ महीने से उसके शरीर के अंदर था। बहरहाल, 14 जुलाई को दिव्या को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।”

कटारिया ने कहा, ”इसके बाद मुझे लोगों के फोन आ रहे हैं कि सिरोही प्रभावशाली लोग हैं और आप उनसे कब तक लड़ेंगे? मगर मैंने 16 जुलाई को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के यहां शिकायत दर्ज कराई। अगले दिन मैंने पुलिस में शिकायत की। शुरुआत में, सीएमओ ने मुझे आश्वासन दिया कि वह डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, लेकिन बाद में वह मुकर गए।”

उन्होंने बताया, ‘‘‘पांच दिन बाद पुलिस उपायुक्त स्तर के एक अधिकारी ने भी इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही और थाने को निर्देश दिए। जब शिकायत की प्रति सीएमओ तक पहुंची और मैं वहां गया तो सीएमओ ने यह कहते हुए अपना रुख बदल दिया कि आपकी पत्नी की मृत्यु नहीं हुई।’’

पीड़ित पति ने कहा,‘‘सीएमओ ने कहा अनेक लोगों ने अपनी-अपनी पत्नी को खोया है और उनकी शिकायतें पिछले छह महीनों से मेरे पास लंबित हैं। सीएमओ ने कहा कि वह डॉक्टर सिरोही को एक मौका देना चाहते हैं।’’

इस बीच, गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अखिलेश मोहन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”मामले की जांच के लिए एक स्त्री रोग विशेषज्ञ सहित तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। मैंने उस नर्सिंग होम को पत्र लिखा है जहां सर्जरी हुई थी। पत्र मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।’’

संपर्क करने पर डॉक्टर निशी सिरोही ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”तीन-चार दिन पहले मुझे सीएमओ से एक पत्र मिला था। मामला मेरी जानकारी में है। आज मैंने सीएमओ द्वारा भेजे गए पत्र का जवाब दे दिया है। अब मामले की जांच होगी। मुझे लगता है कि वह व्यक्ति (चिराग कटारिया) बेबुनियाद बातें कह रहा है।”

उन्होंने कहा, ”मरीज यहां से ठीक हालत में गई थी। और बाद में मैंने उसे बताया कि दिव्या कटारिया के पेट में थोड़ा मवाद जमा है और उसे भर्ती कर देना चाहिए ताकि जांच के बाद इलाज किया जा सके। मगर वे मेरे पास नहीं आए और अब डेढ़ महीने बाद मुझे सीएमओ से यह पत्र मिल रहा है। मैं जांच में पूरा सहयोग करूंगी।’’

भाषा अरुणव मनीष सलीम शोभना

शोभना

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