हैदराबाद, 29 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम ने मंगलवार को जानकारी दी कि आयोग के पास वर्तमान में देश भर से 34,685 मामले लंबित हैं।
उन्होंने आयोग के दो दिवसीय विशेष शिविर के बाद पत्रकारों को बताया कि पुलिस हिरासत में मौत से संबंधित 285 मामले और न्यायिक हिरासत में मौत से संबंधित 2,532 मामले लंबित हैं।
आयोग द्वारा 1993 में जारी निर्देशानुसार, अगर किसी व्यक्ति की थाने या जेल में मौत होती है तो अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर आयोग को अनिवार्य रूप से एक रिपोर्ट भेजनी होगी।
उन्होंने बताया कि 99.99 प्रतिशत मामलों में आयोग को रिपोर्ट प्राप्त होती है और वह तुरंत सभी संबंधित रिपोर्टें तलब करता है।
न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने बताया कि आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लिए गए मामलों की संख्या बढ़ रही है और 2024 में आयोग ने लगभग 105 मामलों पर संज्ञान लिया।
उन्होंने बताया, “वास्तव में, स्वतः संज्ञान से दर्ज मामलों की संख्या बढ़ रही है। 2021 में, स्वतः संज्ञान से दर्ज मामलों की संख्या केवल 17 थी, जो 2022 में 60, 2023 में 117, 2024 में 105 और 2025 में यह संख्या 50 को पार कर चुकी है।”
मानव स्वतंत्रता सूचकांक में भारत कथित तौर पर 130वें स्थान पर है।
क्या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए सरकारों के साथ बातचीत करता है, न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने बताया कि आयोग सरकारों के साथ चर्चा करता है।
उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भुवनेश्वर में सरकारी अधिकारियों के साथ बैठकें की थीं।
न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने बताया कि आयोग के सदस्य क्षेत्रीय दौरे करते हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार सूचकांकों के संबंध में ‘अजीब बात’ है।
आयोग के अध्यक्ष ने किसी देश का नाम लिए बिना बताया कि एक देश मानवाधिकारों के मामले में उच्च स्थान पर हैं लेकिन वह प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में बहुत नीचे है।
उन्होंने बताया, “जहां तक मानवाधिकार सूचकांक का सवाल है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत ही अजीब बात है। एक खास देश है, जिसका मैं नाम नहीं ले सकता। उस देश का मानवाधिकार सूचकांक बहुत ऊंचा है लेकिन प्रेस की स्वतंत्रता के सूचकांक के मामले में यह बहुत नीचे है। ये सूचकांक बहुत ही अजीब तरीके से काम करते हैं। वह एक ऐसा देश है जो निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, इन सूचकांकों को बनाते समय कई वैचारिक बाधाएं आती हैं।”
आयोग ने एक विज्ञप्ति में यह भी बताया कि तेलंगाना में मानवाधिकार उल्लंघन के 109 मामलों की सुनवाई के बाद विशेष शिविर का समापन हो गया। अध्यक्ष न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम और सदस्य न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी तथा विजया भारती सयानी ने मामलों की सुनवाई की।
भाषा जितेंद्र प्रशांत
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