चंडीगढ़, पांच जून (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटियाला में किसानों के एक समूह से बृहस्पतिवार को बातचीत की और उन्हें फसल विविधीकरण अपनाने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि ऐसी फसलें उगाई जाएं जो लाभ देने के साथ-साथ पानी की खपत भी कम करें।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने के केंद्र के फैसले का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी का उपयोग करने के प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों के मुद्दों का समाधान चर्चा एवं संवाद के माध्यम से संभव है।
केंद्र के ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत केंद्रीय कृषि मंत्री ने पटियाला के राजपुरा में गंडिया खेड़ी गांव का दौरा किया, जहां उन्होंने किसानों के एक समूह से मुलाकात की। समूह ने अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराने के अलावा अपनी नवीन कृषि पद्धतियों के बारे में जानकारी दी।
चौहान के साथ पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सतबीर सिंह गोसल और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिक भी मौजूद रहे।
देश के खाद्यान्न भंडार में पंजाब के किसानों की भूमिका की सराहना करते हुए चौहान ने कहा कि देश ने इस वर्ष गेहूं, धान, मक्का और सोयाबीन का सर्वकालिक रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया है।
चौहान ने कहा, ‘‘ इसमें पंजाब की सबसे बड़ी भूमिका रही और मैं पंजाब की धरती को नमन करता हूं।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य है कि फसल उत्पादन बढ़े, लागत कम हो, किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य मिले और अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो उन्हें मुआवजा दिया जाए।
किसानों के साथ अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि वे किसानों द्वारा अपनाई जा रही चावल की सीधी बुआई तकनीक से प्रभावित हैं और वे अन्य किसानों से भी कम पानी की खपत के लिए डीएसआर अपनाने का आग्रह करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे सीधी बुआई, मशरूम की खेती या साइलेज बनाने सहित अच्छी फसल पद्धतियों से अवगत कराया गया।’’
‘साइलेज’ एक संरक्षित हरे चारे का प्रकार है जो पशुओं के लिए एक पौष्टिक और संतुलित आहार होता है
राष्ट्रव्यापी अभियान ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के बारे में चौहान ने कहा कि वह किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं समझ रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में चौहान ने कहा कि फसल विविधीकरण कार्यक्रम समय की मांग है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें ऐसी फसलें उगानी चाहिए जो लाभ के साथ-साथ कम पानी भी लें।’’
इससे पहले उन्होंने किसानों से फलों, सब्जियों और अन्य फसलों के साथ प्रयोग करने का आह्वान भी किया।
भाषा निहारिका नरेश
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