नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बृहस्पतिवार को सदस्यों से शून्यकाल तथा प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध करते हुए कहा कि सत्र की शुरूआत से गतिरोध के कारण करीब 30 घंटे का समय बर्बाद हो चुका है।
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर हरिवंश ने कहा कि मौजूदा मानसून सत्र में आज तक 120 प्रश्न, 120 शून्यकाल उल्लेख और इतनी ही संख्या में विशेष उल्लेख लिए जाने थे लेकिन केवल 11 प्रश्न, तीन शून्यकाल उल्लेख और 17 विशेष उल्लेख ही लिए जा सके। उन्होंने कहा, ‘कुल 30 घंटे और छह मिनट का समय बर्बाद हुआ। यह समय सदस्यों का था, सरकारी कामकाज का नहीं।’
इसके बाद उन्होंने सदन द्वारा एक सितंबर, 1997 को भारतीय स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के अवसर पर पारित एक प्रस्ताव पढ़ा।
सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव में कहा गया था ‘संसद की प्रतिष्ठा को संरक्षित और संवर्धित किया जाना चाहिए, साथ ही सदनों की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों तथा पीठासीन अधिकारियों के सुव्यवस्थित कार्य संचालन से संबंधित निर्देशों का सचेत और गरिमापूर्ण अनुपालन किया जाना चाहिए…।’’
हरिवंश ने प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा, ‘विशेष रूप से प्रश्नकाल को बनाए रखते हुए, हंगामा या नारेबाजी करने से परहेज किया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि हमें यह आत्मावलोकन करना होगा कि हमने जो संकल्प लिया था, क्या उस संकल्प को हम पूरा कर पा रहे हैं?
बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही बार बार बाधित हुई तथा शून्यकाल और प्रश्नकाल में कामकाज नहीं हो पाया।
उच्च सदन में आज भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और शून्यकाल तथा प्रश्नकाल नहीं चल सके।
भाषा मनीषा वैभव
वैभव