जयपुर, 31 जुलाई (भाषा) राजस्थान सरकार ने दोहराया है कि सिख समुदाय के छात्रों को कृपाण, कड़ा और पगड़ी जैसे धार्मिक प्रतीक पहनकर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए।
एक सिख छात्रा को कृपाण पहनकर न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा में नहीं बैठने देने की घटना के बाद व्यापक नाराजगी के मद्देनजर सरकार ने 29 जुलाई को इस संबंध में एक नया निर्देश जारी किया है।
हालिया निर्देश में कांग्रेस की पिछली सरकार की ओर से जारी 2019 के एक परिपत्र का हवाला दिया गया था जिसमें सभी संबंधित पक्षों से राजस्थान लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान सिख उम्मीदवारों को धार्मिक प्रतीक पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था।
रविवार को पंजाब के तरनतारन जिले की एक अभ्यर्थी गुरप्रीत कौर ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया कि उन्हें 27 जुलाई को जयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायिक सेवा परीक्षा में इसलिए नहीं बैठने दिया गया क्योंकि उन्होंने कृपाण धारण किया हुआ था। यह अमृतधारी सिखों के लिए अनिवार्य धार्मिक मान्यता है।
इस घटना की सिख समुदाय और धार्मिक संस्थाओं ने आलोचना की। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने इस घटना की निंदा की।
गडगज ने एक पोस्ट में कहा, ‘राजस्थान उच्च न्यायालय सिविल जज परीक्षा में अमृतधारी अभ्यर्थियों को प्रवेश न देना बड़ा संवैधानिक उल्लंघन और सिख विरोधी भेदभाव है। शिरोमणि अकाली दल और एसजीपीसी को एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल बनाकर स्थायी समाधान के लिए भारत सरकार और राजस्थान सरकार के समक्ष यह मामला उठाना चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को इस मुद्दे को प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के समक्ष उठाना चाहिए और अकाल तख्त को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजनी चाहिए।’
राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने भी अधिकारियों को पत्र लिखकर सिख उम्मीदवारों की इस संबंध में बार-बार की शिकायतों का हवाला दिया और इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा नीति को लागू न करने से समुदाय में नाराजगी पैदा हुई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) भास्कर ए. सावंत ने अपने निर्देश में 2019 के निर्देशों को लागू करने में हुई चूक को स्वीकार किया और इनके अनुपालन की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसे सिख उम्मीदवारों को सुरक्षा जांच के लिए एक घंटा पहले पहुंचने का निर्देश दिया जा सकता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक प्रतीकों को परीक्षा से वंचित करने का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए जब तक कि स्क्रीनिंग के दौरान कोई संदिग्ध उपकरण न पाया जाए।
निर्देश में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने पर परीक्षा केंद्रों में धार्मिक प्रतीक ले जाने की अनुमति दी गई थी।
राज्य सरकार द्वारा नीति की पुनः पुष्टि का स्वागत करते हुए सादुलशहर से भाजपा विधायक गुरवीर सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर ‘स्पष्टता और संवेदनशीलता’ के साथ प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने सिख छात्रों से परीक्षा दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपनी आस्था की गरिमा बनाए रखने का आग्रह किया।
भाषा पृथ्वी नरेश रंजन
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