बिलासपुर, एक अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को केरल की दो नन समेत तीन लोगों द्वारा दायर जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अधिवक्ताओं ने बताया कि तीनों को मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान सरकारी वकील दाऊराम चंद्रवंशी ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि मामले की जांच अभी शुरुआती चरण में है।
उन्होंने बताया कि यह सुनवाई प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एनआईए कोर्ट) सिराजुद्दीन कुरैशी की अदालत में हुई।
रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी की शिकायत पर 25 जुलाई को शासकीय रेल पुलिस ने प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस नामक दो नन के साथ सुकमन मंडावी नामक एक व्यक्ति को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था।
पदाधिकारी ने ननों और मंडावी पर नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था।
चंद्रवंशी ने संवाददाताओं को बताया, ”अभियोजन पक्ष ने अदालत में जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि मामले की जांच अभी शुरुआती चरण में है। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कल (शनिवार) तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।”
बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने संवाददाताओं को बताया कि जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई और हमने सभी बातें रखीं, जैसे कि उनसे (कथित आरोपियों से) क्या सामग्री जब्त की गई और उन्हें किन आरोपों और सामग्रियों के आधार पर हिरासत में रखा गया है।
दास ने कहा, ”अभियोजन पक्ष ने उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं की है। युवतियों (कथित पीड़ितों) को उनके घर भेज दिया गया है। वे सभी वयस्क हैं और पहले से ही ईसाई धर्म का पालन कर रही हैं, इसलिए धर्मांतरण के आरोप झूठे हैं।”
उन्होंने कहा कि तीनों युवतियों के माता-पिता के बयान पहले ही रिकॉर्ड में हैं, जिसके अनुसार उन्हें जबरदस्ती या धोखे से नहीं ले जाया जा रहा था।
दास ने बताया कि अदालत ने दलीलें सुन ली और अपना आदेश कल के लिए सुरक्षित रख लिया है।
भाषा सं संजीव
संतोष
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