नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह ब्रिटेन स्थित हथियार कारोबारी संजय भंडारी की उस याचिका पर आठ अगस्त को आगे की दलीलें सुनेगा, जिसमें उसे “भगोड़ा आर्थिक अपराधी” घोषित करने के अधीनस्थ अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने भंडारी की उस याचिका पर दलीलों का कुछ हिस्सा सुना, जिसमें शनिवार को होने वाली निचली अदालत की कार्यवाही को स्थगित करने का अनुरोध किया गया था।
जैसे ही अदालत अंतरिम आवेदन पर अपना आदेश सुरक्षित रखने वाली थी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर अंतिम सुनवाई की जाए, क्योंकि शुक्रवार को दी गई दलीलें अनिवार्य रूप से मामले के गुण-दोष से संबंधित हैं।
अदालत ने शेष दलीलों की सुनवाई के लिए मामले को आठ अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया तथा पक्षकारों से लिखित प्रतिवेदन दाखिल करने को कहा।
भंडारी के वकील ने दलील दी कि अगर याचिका पर अंतिम फैसला गुण-दोष के आधार पर करना है, तो निचली अदालत की कार्यवाही स्थगित कर दी जाए। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि भंडारी की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई रोक दी जाए।
अदालत ने हालांकि इस संबंध में कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और कहा, “इसका कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि अगर (अधीनस्थ अदालत से) आदेश पारित हो जाता है, तो संपत्ति की जब्ती भी स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि विशेष न्यायाधीश द्वारा आगे जो भी कार्यवाही की जाएगी, वह इस अपील के परिणाम के अधीन होगी।”
न्यायमूर्ति कृष्णा ने कहा कि वह 15 दिनों के भीतर याचिका पर फैसला करेंगी।
यह याचिका 31 जुलाई को न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी, जिन्होंने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, क्योंकि भंडारी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील सुनवाई की तारीख पर आम सहमति नहीं बना सके थे।
ईडी ने भी याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई है।
ईडी की याचिका पर अधीनस्थ अदालत ने पांच जुलाई को भंडारी को “भगोड़ा आर्थिक अपराधी” घोषित कर दिया था। इस आदेश के तहत एजेंसी उसकी करोड़ों रुपये की सभी संपत्तियां जब्त कर सकेगी।
आयकर विभाग द्वारा दिल्ली में छापेमारी के तुरंत बाद 63 वर्षीय भंडारी 2016 में लंदन भाग गया था।
ईडी ने भंडारी और अन्य के खिलाफ फरवरी 2017 में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था, जिसमें 2015 के काला धन विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ दायर आयकर आरोपपत्र का संज्ञान लिया गया था।
बाषा प्रशांत दिलीप
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