नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के इस्तीफे की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि दोनों के बीच “आपसी लड़ाई और मतभेद” के कारण राज्य में “सरकारी कुप्रबंधन से भगदड़” मची।
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास बुधवार को मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 56 लोग घायल हो गए। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) टीम के प्रशंसक आईपीएल में उसकी पहली खिताबी जीत के बाद टीम की एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में वहां पहुंचे थे।
भाजपा सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच “आपसी लड़ाई और मतभेद” के कारण राज्य में “सरकारी कुप्रबंधन की वजह से भगदड़” मची।
उन्होंने पिछले वर्ष तेलंगाना में भगदड़ मामले में तेलुगु अभिनेता अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी को याद किया और पूछा कि क्या पार्टी कर्नाटक में भी “उसी सिद्धांत” का पालन करेगी तथा सिद्धरमैया एवं शिवकुमार की गिरफ्तारी सुनिश्चित करेगी। तेलंगाना में भी कांग्रेस सत्ता में है।
उन्होंने राहुल गांधी की भी आलोचना की और उनसे इस घटना पर चुप्पी तोड़ने तथा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को पद से हटाने को कहा।
पात्रा ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से राज्य सरकार की विफलता है। राज्य सरकार को अपनी विफलता स्वीकार करनी होगी। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को 11 निर्दोष लोगों की मौत और इस घटना में घायल हुए लोगों के लिए इस्तीफा देना होगा।’’
भाजपा नेता ने कहा कि देश में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और अतीत में भी विजय जुलूस निकाले गए हैं, लेकिन उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के बाद – आमतौर पर आयोजन के तीन से पांच दिन बाद।
उन्होंने कहा, “हर कोई जानता है कि क्रिकेट प्रशंसक जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे… ऐसे आयोजन उचित व्यवस्था के बाद ही आयोजित किए जाने चाहिए।”
पात्रा ने कहा, “हमने केकेआर की जीत के दो दिन बाद विजय जुलूस देखा। सीएसके ने जीत के तीन दिन बाद विजय जुलूस निकाला।”
उन्होंने दावा किया, “लेकिन कर्नाटक में, सिर्फ इसलिए कि डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया एक फोटो सेशन चाहते थे, उन्होंने इस कार्यक्रम को (टीम की जीत के) 12 घंटे के भीतर आयोजित करने के लिए मजबूर किया।”
उन्होंने आरोप लगाया कि आयोजकों और पुलिस के बीच कोई समन्वय नहीं था।
पात्रा ने आरोप लगाया, “…मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की हिम्मत देखिए, वह उस भगदड़ को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें 11 निर्दोष लोग मारे गए। वह कहते हैं कि ऐसी भगदड़ अन्य स्थानों पर भी होती रहती हैं।”
उन्होंने कहा, “और, सबसे बुरी बात यह थी कि जब मौत हो रही थी, तब बधाई देने का कार्यक्रम जारी था। जश्न मनाया जा रहा था… शिवकुमार मंच पर मुस्कुरा रहे थे, जबकि मंच के नीचे लोग मर रहे थे। आप लाशों पर खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे।”
भाजपा नेता ने पूछा, “मौतों के बावजूद कार्यक्रम को जारी रखने की अनुमति किसने दी? न तो कन्नड़ लोग और न ही देश मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को माफ करेगा।”
पात्रा ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष गांधी पर निशाना साधते हुए कहा पूछा, “राहुल गांधी कहां हैं, जो भारत का मजाक उड़ाते रहते हैं, हर दिन भारत के खिलाफ बोलते हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सेना का मजाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है।”
उन्होंने कहा, “वह कहां छिपे हैं? क्या राहुल गांधी इस मुद्दे पर डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया के ट्वीट (एक्स पर पोस्ट) पर सवाल उठाएंगे और उन्हें दिल्ली बुलाएंगे? क्या वह उनसे इस्तीफा देने के लिए कहेंगे?”
पात्रा ने कहा, ‘‘हम उनकी प्रतिक्रिया का भी इंतजार कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि राहुल गांधी, आप सामने आएंगे और बोलेंगे और अपने नेता के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, क्योंकि कर्नाटक में सरकार आपकी है।”
पुलिस द्वारा कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दिए जाने संबंधी मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए पात्रा ने कहा कि ऐसे कई प्रश्न हैं जिनका उत्तर कर्नाटक सरकार को देना होगा।
भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि बेंगलुरु शहर की यातायात पुलिस ने बुधवार को ‘एक्स’ पर स्पष्ट रूप से कहा था कि कोई ‘विजय परेड’ नहीं होगी और बाद में इस पोस्ट को हटा दिया गया।
भंडारी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “अपराह्न एक बजकर आठ मिनट पर बेंगलुरु शहर की यातायात पुलिस ने स्पष्ट रूप से ट्वीट किया कि विजय परेड नहीं होगी। अपराह्न 3:14 बजे आरसीबी ने ट्वीट किया कि परेड शाम पांच बजे होगी। कुछ ही देर बाद पुलिस ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।”
उन्होंने पूछा, “यू-टर्न क्यों? किसने पोस्ट हटाने का आदेश दिया? जनता को गुमराह क्यों किया गया?”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भगदड़ को “मानव निर्मित राज्य प्रायोजित त्रासदी” करार दिया।
भाषा प्रशांत सुरेश
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