इस्लामाबाद, पांच जून (भाषा) पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस्लामाबाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई के कारण शिमला समझौते की पवित्रता खत्म हो गई है।
आसिफ ने समाचार चैनल ‘जियो न्यूज’ से बातचीत में कहा, “यह समझौता द्विपक्षीय था क्योंकि इसमें कोई तीसरा पक्ष या विश्व बैंक शामिल नहीं था।”
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि इस्लामाबाद शिमला समझौते को समाप्त करने पर विचार कर सकता है और ऐसी स्थिति में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) “युद्ध-विराम रेखा” बन जाएगी।
पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई के बाद इस्लामाबाद ने शिमला समझौते को समाप्त करने की धमकी दी थी। हालांकि, उसने इस ऐतिहासिक समझौते को रद्द करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
भारत और पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध के बाद शिमला समझौते पर हस्तक्षर किए थे। इस समझौते में द्विपक्षीय संबंधों को नियंत्रित करने के लिए सिद्धांत निर्धारित किए गए थे।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए थे, जिसके बाद दोनों देशों में सैन्य संघर्ष छिड़ गया था।
पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की। भारत ने पाकिस्तानी हमलों का करारा जवाब दिया। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच वार्ता के बाद दोनों देशों में संघर्ष रोकने पर सहमति बनी थी।
भाषा पारुल माधव
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