बेंगलुरु, तीन अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बेलगावी जिले के हुलिकट्टी गांव के एक सरकारी स्कूल में पीने के पानी में जहर मिलाने की कथित घटना की कड़ी निन्दा की। बताया गया है कि इस कृत्य कथित तौर पर मुस्लिम प्रधानाध्यापक के स्थानांतरण का दबाव बनाने के लिए अंजाम दिया गया।
सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इसे धार्मिक घृणा और कट्टरवाद से प्रेरित एक ‘जघन्य कृत्य’ करार दिया।
सिद्धरमैया ने एक बयान में कहा, ‘बेलगावी जिले के सवादत्ती तालुका के हुलिकट्टी गांव के सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक मुस्लिम समुदाय से हैं। उनका तबादला कहीं और करवाने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से, श्रीराम सेना के तालुका अध्यक्ष सागर पाटिल और दो अन्य लोगों को स्कूली बच्चों के पीने के पानी में ज़हर मिलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है।’’
यह घटना लगभग 15 दिन पहले हुई थी, जिसमें कई बच्चे बीमार पड़ गए थे, हालांकि किसी की जान जाने की सूचना नहीं है।
इस कृत्य को सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक ‘गंभीर खतरा’ बताते हुए, सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘धार्मिक कट्टरवाद और सांप्रदायिक नफरत जघन्य कृत्यों को जन्म दे सकती है और यह घटना इसका प्रमाण है, जिसके परिणामस्वरूप मासूम बच्चों की जान जा सकती थी। शरणों की भूमि में इतनी क्रूरता और नफरत कैसे पैदा हो सकती है? जिनका कहना है कि ‘करुणा ही धर्म का मूल है’। मुझे इस समय भी इस पर विश्वास नहीं हो रहा है।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं और दक्षिणपंथी संगठनों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग राजनीतिक लाभ के लिए धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं, उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए।
सिद्धरमैया ने सवाल किया, ‘‘क्या प्रमोद मुतालिक (श्रीराम सेना प्रमुख) इस घटना की जिम्मेदारी लेंगे? क्या बी वाई विजेंद्र जिम्मेदारी लेंगे? क्या आर अशोक जिम्मेदारी लेंगे? जो नेता हमेशा ऐसे सामाजिक रूप से विनाशकारी कृत्यों का समर्थन करते हैं, उन्हें अब आगे आना चाहिए और अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि सभी प्रकार की कट्टरता समाज के लिए ख़तरा हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी प्रकार की कट्टरता और कट्टरवाद मानव समाज के लिए ख़तरनाक हैं। नफरत भरे भाषणों और सांप्रदायिक दंगों पर लगाम लगाने के लिए हमने एक विशेष कार्यबल का गठन किया है और हम ऐसे तत्वों के खिलाफ़ हर संभव क़ानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।’’
उन्होंने जनता के सहयोग की अपील करते हुए कहा, ‘‘हमारे सभी प्रयासों के फलदायी होने के लिए, जनता को भी ऐसी ताकतों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, उनका विरोध करना चाहिए और शिकायत दर्ज करनी चाहिए। मेरा अब भी मानना है कि सद्भावना से साथ रहने की इच्छा रखने वालों की संख्या सांप्रदायिकतावादियों की संख्या से सौ गुना ज़्यादा है।’
सिद्धरमैया ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों की त्वरित कार्रवाई की भी सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों के नरसंहार की नापाक साजिश को नाकाम करने वाले पुलिसकर्मियों को बधाई। मुझे पूरा विश्वास है कि न्यायिक व्यवस्था ऐसे जघन्य कृत्य करने वाले दोषियों को उचित सजा देगी।’’
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब हुलिकट्टी गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की स्कूल परिसर में उपलब्ध कराए गए पानी को पीने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में तबीयत खराब हो गई।
प्रारंभिक जांच में पेयजल स्रोत को जानबूझकर दूषित करने का संकेत मिला।
पुलिस जांच के बाद एक दक्षिणपंथी समूह के स्थानीय नेता सागर पाटिल सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों के अनुसार, इस कृत्य का मकसद कथित तौर पर स्कूल के प्रधानाध्यापक को उनकी धार्मिक पहचान के कारण निशाना बनाना था।
ऐसा माना जाता है कि आरोपियों ने ऐसी मनगढ़ंत परिस्थितियां गढ़कर इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की, जिससे प्रधानाध्यापक का तबादला हो जाए।
अब सभी प्रभावित बच्चे ठीक हो गए हैं।
भाषा अमित रंजन
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