इंफाल, छह अगस्त (भाषा) मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए थाडोउ जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली एक नागरिक संस्था ने बुधवार को यहां प्रमुख मेइती संस्था के साथ एक बंद कमरे में बैठक की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि थाडोउ इनपी मणिपुर (टीआईएम) के 13 से अधिक प्रतिनिधियों ने सामुदायिक आपसी समझ कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए यहां एक होटल में ‘कॉर्डिनेशन कमिटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी(सीओसीओएमआई)’ , अरम्बाई टेंगोल, अखिल मणिपुर यूनाइटेड क्लब संगठन (एएमयूसीओ) और अन्य संगठनों के सदस्यों के साथ बैठक की।
टीआईएम ने बैठक को ‘शांति का रोडमैप: सामुदायिक समझ पर सह-अस्तित्व की संधि’ बताया।
शोधकर्ताओं का दावा है कि थाडोउ कुकी समुदाय की सबसे बड़ी उप-जनजाति है लेकिन टीआईएम का कहना है कि वह एक अलग जनजाति है और कुकी समूह का हिस्सा नहीं है।
मई 2023 में राज्य में हिंसा भड़कने के बाद यहां टीआईएम और मेइती संगठनों के बीच ये पहली बैठक है। थाडोउ इंपी मणिपुर, दिल्ली में मेइती संगठनों के साथ बैठकें कर चुका है।
टीआईएम के एक बयान में कहा गया है, ‘‘थाडोउ जनजाति और इसे कुकी जनजाति के रूप में पहचानने वालों के बीच भ्रम का एक प्रमुख कारण पहनावे और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में समानताएं हैं। हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि थाडोउ जनजाति एक विशिष्ट स्वदेशी पहचान है, जबकि कुकी नामकरण, जैसा कि आज प्रयोग किया जाता है, एक राजनीतिक और वैचारिक नाम बन गया है। कुकी नामकरण एक वास्तविक जातीय पहचान नहीं है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘यह हमारे साझा इतिहास में एक निर्णायक क्षण है। आइए हम सच्चाई के लिए एकजुट रहें। मणिपुर में स्थायी शांति का मार्ग पहचान की स्पष्टता, उग्रवाद की अस्वीकृति और सह-अस्तित्व के लिए नई प्रतिबद्धता से शुरू होता है।’’
भाषा राजकुमार नरेश
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