मुंबई, छह अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक आंतरिक समूह ने मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य के रूप में एक दिन के भारांश औसत कॉल दर (डब्ल्यूएसीआर) को बनाए रखने की अनुशंसा की है।
‘भारांश औसत कॉल दर’ वह औसत ब्याज दर है जिस पर बैंक अंतर-बैंक बाजार में एक-दूसरे को एक दिन के लिए कर्ज देते हैं। यह रिजर्व बैंक के लिए नकदी प्रबंधन और अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों को प्रभावित करने का एक प्रमुख परिचालन लक्ष्य है।
आरबीआई के आंतरिक समूह ने नीतिगत दर पर परिचालन लक्ष्य दर को बनाए रखने के उद्देश्य से विभिन्न अवधियों के रेपो एवं रिवर्स रेपो परिचालन के लिए परिवर्तनीय दर नीलामी व्यवस्था को जारी रखने की भी सिफारिश की है।
मौजूदा नकदी प्रबंधन ढांचे की समीक्षा के लिए गठित डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता की अध्यक्षता वाले आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) की रिपोर्ट संबंधित पक्षों की टिप्पणियों के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर डाली गई है। इस पर 29 अगस्त तक सुझाव दिए जा सकते हैं। मौजूदा नकदी प्रबंधन ढांचा फरवरी, 2020 से लागू है।
मौजूदा नकदी प्रबंधन ढांचे के अंतर्गत एक दिन की भारित औसत कॉल दर मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य है।
नकदी प्रबंधन कार्यों का उद्देश्य लक्षित दर को नीतिगत दर रेपो के अनुरूप बनाना है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘समूह परिचालन लक्ष्य के रूप में एक दिन की भारांश औसत कॉल दर को जारी रखने की सिफारिश की है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा बाजार दरों के व्यवस्थित विकास और उसके लाभ को आगे बढ़ाने को सुचारू बनाने के लिए इससे जुड़े अन्य खंडों में दरों पर नजर रखना जारी रख सकता है।’’
नकदी प्रबंधन मौद्रिक नीति की परिचालन प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य लक्षित मुद्रा बाजार दर को नीतिगत दर के अनुरूप बनाना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक प्रभावी नकदी प्रबंधन ढांचा (एलएमएफ) बैंकिंग प्रणाली में उचित नकदी बनाए रखने में मदद करता है और मुद्रा बाजार के विकास को बढ़ावा देता है।
भाषा रमण प्रेम
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