नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 वापस ले लिया और सरकार प्रवर समिति के सुझावों के मताबिक बदलावों को शामिल करके नया विधेयक लाएगी। नया आयकर विधेयक 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसमें भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति द्वारा की गई अधिकांश सिफारिशें शामिल हैं।
बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने की अनुमति मांगी।
सदन की मंजूरी के बाद उन्होंने आयकर विधेयक वापस ले लिया। सरकार ने 13 फरवरी, 2025 को यह विधेयक पेश किया था और इसे अध्ययन के लिए लोकसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया। प्रवर समिति की रिपोर्ट गत 21 जुलाई को सदन में पेश की गई।
आयकर विधेयक, 2025 को आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने के लिए लाया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “समय आने पर लोकसभा में एक नया विधेयक पेश किया जाएगा जो आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा।” बजट सत्र के दौरान पेश किया गया पिछला मसौदा, प्रत्यक्ष कर कानूनों को आधुनिक और सरल बनाने की सरकार की व्यापक योजना का हिस्सा था।
बीजेपी के सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली लोकसभा की 31 सदस्यीय प्रवर समिति ने आयकर विधेयक में अनेक बदलावों की सिफारिश की है। समिति ने नए कानून में धार्मिक-सह-परमार्थ ट्रस्टों को दिए गए गुप्त चंदे पर कर छूट जारी रखने का भी समर्थन किया, साथ ही सुझाव दिया कि करदाताओं को बिना किसी दंडात्मक शुल्क का भुगतान किए, आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
नए विधेयक में सरकार ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) को विशुद्ध रूप से धार्मिक ट्रस्टों द्वारा प्राप्त गुप्त चंदे पर कर लगाने से छूट दी है। हालांकि, किसी ऐसे धार्मिक ट्रस्ट द्वारा प्राप्त दान, जो अस्पताल और शिक्षण संस्थान संचालित करने जैसे अन्य धर्मार्थ कार्य भी करते हों, पर विधेयक के तहत कानून के अनुसार कर लगाया जाएगा।