नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने रविवार को स्पष्ट किया कि भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार की वकालत करने वाले उसके दो शोधकर्ताओं के लेख में लेखकों के अपने विचार हैं और वे संस्थान के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
एम्स ने एक बयान में कहा, ‘‘एम्स इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 के तहत भारत सरकार द्वारा ई-सिगरेट पर लगाए गए प्रतिबंध का पूर्ण समर्थन करता है।’’
देश में युवाओं में निकोटीन के बढ़ते उपयोग के संभावित खतरे के मद्देनजर एम्स ने कहा कि वह ‘‘सुरक्षित विकल्प’’ की आड़ में ई-सिगरेट के भ्रामक विज्ञापनों के प्रति कड़ी चेतावनी देता है, खासकर जब इसका उपयोग अनियमित तरीके से या मनोरंजन के लिए किया जा रहा हो।
‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम’ (ईएनडीएस) को आमतौर पर ई-सिगरेट के रूप में जाना जाता है। इस पर एक राय का हवाला देने वाली मीडिया रिपोर्ट के जवाब में एम्स ने ई-सिगरेट सहित किसी भी प्रकार के तंबाकू एवं निकोटीन युक्त पदार्थ के उपयोग का विरोध करते हुए अपनी स्पष्ट और पुरानी स्थिति दोहराई।
प्रमुख संस्थान ने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत राय और उनके निष्कर्ष के लिए पूरी तरह से संबंधित प्रमुख शोधकर्ता एवं शोध टीम जिम्मेदार हैं और ये विचार ‘‘एक संस्थान के रूप में एम्स के आधिकारिक रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं’’।
उसने कहा कि संस्थान कठोर वैज्ञानिक मानकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और इस बात पर जोर देता है कि केवल विशेषज्ञ समितियों या प्रबंधन द्वारा समीक्षा किए गए और औपचारिक रूप से अपनाए गए अध्ययनों को ही एम्स का आधिकारिक रुख माना जाता है।
बयान में कहा गया है कि एम्स डेटा-आधारित, साक्ष्य-आधारित चिकित्सा पद्धति और नीति का समर्थन करता है।
बयान के अनुसार, एम्स ने विशेष रूप से युवाओं के बीच ईएनडीएस और ई-सिगरेट को बढ़ावा देने के खिलाफ चेतावनी जारी की है।
भाषा
सुरभि सिम्मी
सिम्मी