नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) भारत में इस साल मानसून के मौसम में अब तक सामान्य वर्षा दर्ज की गई है, लेकिन राज्यों में बारिश का वितरण बेहद असमान्य रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के नवीनतम राज्यवार आंकड़े तो कुछ यही बयां करते हैं।
आईएमडी के मुताबिक, देश में एक जून से 10 अगस्त के बीच 539 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो लंबी अवधि की सामान्य औसत वर्षा (535.6 मिलीमीटर) से एक फीसदी अधिक है।
आईएमडी जिन 36 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के आंकड़े उपलब्ध कराता है, उनमें से 25 ‘‘सामान्य बारिश’’ की श्रेणी (लंबी अवधि के औसत के 19 फीसदी तक) में हैं, जबकि पांच ‘‘कम’’ (सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत कम बारिश), पांच अन्य ‘‘अधिक’’ (सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत अधिक बारिश) और एक (लद्दाख) ‘‘बहुत अधिक’’ (सामान्य से 60 प्रतिशत से ज्यादा बारिश) की श्रेणी में है। कोई भी राज्य ‘‘बहुत कम’’ बारिश की श्रेणी में नहीं है।
आईएमडी के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश (652.1 मिलीमीटर; सामान्य से लगभग 40 फीसदी कम), असम (603.8 मिलीमीटर; सामान्य से 37 फीसदी कम), मेघालय (978.7 मिलीमीटर; सामान्य से 45 फीसदी कम), सिक्किम (837.4 मिलीमीटर; सामान्य से 20 फीसदी कम) और बिहार (438.3 मिलीमीटर; सामान्य से 25 फीसदी कम) में मौसमी बारिश में कमी दर्ज की गई है।
विभाग ने बताया कि झारखंड (853.7 मिलीमीटर; समान्य से 41 फीसदी अधिक), दिल्ली (433.5 मिलीमीटर; समान्य से 37 फीसदी अधिक), राजस्थान (430.6 मिलीमीटर; समान्य से 58 फीसदी अधिक), मध्यप्रदेश (745.3 मिलीमीटर; समान्य से 30 फीसदी अधिक) और पुदुचेरी (258.2 मिलीमीटर; समान्य से 32 फीसदी अधिक)“अधिक” वर्षा वाले राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों में शामिल हैं।
आईएमडी के मुताबिक, लद्दाख “अत्यधिक” बारिश वाली श्रेणी में शामिल है, जहां 31.8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 115 फीसदी ज्यादा है।
आईएमडी के अनुसार, देश के 25 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में लंबी अवधि के औसत से 19 फीसदी ज्यादा या कम बारिश हुई।
विभाग ने बताया कि इन राज्यों में उत्तर प्रदेश (478.0 मिलीमीटर; सामान्य से 11 प्रतिशत अधिक), महाराष्ट्र (585.2 मिलीमीटर; सामान्य से लगभग नौ प्रतिशत कम लेकिन सामान्य श्रेणी के भीतर) और कर्नाटक (587.8 मिलीमीटर; सामान्य से 10 प्रतिशत अधिक) शामिल हैं।
आईएमडी ने कहा कि हालांकि, कुल मिलाकर देश में वर्षा की स्थिति सामान्य रही, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर इसमें असमानता दर्ज की गई यानी कुछ राज्यों में अत्यधिक पानी बरसा, जबकि कुछ को बारिश के लिए तरसना पड़ा।
पश्चिमी हिमालय के हिस्सों में जुलाई और अगस्त की शुरुआत में बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी भारी बारिश और जलभराव की घटनाएं दर्ज की गईं।
आईएमडी ने अनुमान जताया है कि मानसून का दूसरा भाग (अगस्त-सितंबर) सामान्य से अधिक वर्षा वाला हो सकता है। हालांकि, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में कम बारिश होने की आशंका है।
भारत में मानसून कृषि के लिए अहम है, जो 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। यह पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए जलाशयों को भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भाषा
राखी पारुल
पारुल