यरुशलम, 11 अगस्त (एपी) इजराइल की सेना द्वारा रविवार देर रात गाजा में किए गए हवाई हमले में अल जजीरा के एक संवाददाता और अन्य लोग मारे गए।
इजराइल और गाजा शहर के अस्पताल अधिकारियों, दोनों ने अल-शरीफ और उनके साथियों की मौत की पुष्टि की। वहीं ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ और अन्य ने इसे गाजा में युद्ध का दस्तावेजीकरण करने वालों के खिलाफ प्रतिशोध बताया।
इजराइली सेना ने दावा किया कि अल-शरीफ हमास के एक प्रकोष्ठ का नेतृत्व कर रहे थे।
हालांकि, यह एक ऐसा आरोप है जिसे अल जजीरा और अल-शरीफ ने पहले निराधार बताकर खारिज कर दिया था।
पिछले 22 महीने के युद्ध के दौरान यह पहली बार है, जब इजराइल की सेना ने हमले में किसी पत्रकार के मारे जाने के बाद तुरंत जिम्मेदारी ली है। पर्यवेक्षकों ने इसे आधुनिक समय में पत्रकारों के लिए सबसे घातक संघर्ष बताया है।
शिफा अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि गाजा शहर के सबसे बड़े अस्पताल परिसर के बाहर मारे गए लोगों में अल जजीरा के संवाददाता मोहम्मद क़रीकेह भी शामिल थे।
अस्पताल के प्रशासनिक निदेशक रामी मोहन्ना ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि हमले में चार अन्य पत्रकार और दो अन्य लोग भी मारे गए। हमले में अस्पताल परिसर के आपातकालीन भवन का प्रवेश द्वार क्षतिग्रस्त हो गया।
इजराइली सेना के अधिकारियों ने एक साल से भी कम समय पहले अल-शरीफ और अल जजीरा के अन्य पत्रकारों पर हमास एवं अन्य जिहादी चरमपंथी समूहों का सदस्य होने का आरोप लगाया था।
इजराइल की सेना के प्रवक्ता अविचे अद्राई ने 24 जुलाई के एक वीडियो में ‘अल जजीरा’ पर निशाना साधा था और अल-शरीफ पर हमास की सैन्य शाखा का हिस्सा होने का आरोप लगाया था।
‘अल जजीरा’ ने इस हमले को ‘‘लक्षित हत्या’’ बताया और इजराइल के अधिकारियों पर उकसावे की कार्रवाई करने का आरोप लगाया। चैनल ने अल-शरीफ की मौत को उन आरोपों से जोड़ा, जिनका संस्थान और संवाददाता दोनों ने खंडन किया था।
इजराइली सैन्य अभियानों को देखने के दुर्लभ निमंत्रणों के अलावा, युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय मीडिया को गाजा में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। अल जज़ीरा उन कुछ मीडिया संस्थानों में से एक है जो अभी भी घेरे हुए क्षेत्र में पत्रकारों की एक बड़ी टीम तैनात किए हुए है, जो हवाई हमलों, भूख और तबाह हुए इलाकों के मलबे के बीच दैनिक जीवन की रिपोर्टिंग कर रहा है।
अल जजीरा को इजराइल में प्रतिबंधित कर दिया गया है और सैनिकों ने पिछले वर्ष कब्जे वाले पश्चिमी तट पर इसके कार्यालयों पर छापा मारा था तथा उन्हें बंद करने का आदेश दिया था।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने सोमवार को पत्रकारों के तंबू को निशाना बनाकर रविवार को किए गए हवाई हमले की निंदा की और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।
‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ ने रविवार को कहा कि गाजा में कम से कम 186 पत्रकार मारे गए हैं और ब्राउन विश्वविद्यालय के वाटसन संस्थान ने अप्रैल में कहा था कि यह युद्ध ‘‘साधारण तौर पर, पत्रकारों के लिए अब तक का सबसे बुरा संघर्ष’’ है।
सोमवार को पत्रकारों सहित सैकड़ों लोग अल-शरीफ, क़रीक़ेह और उनके सहयोगियों की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए इकट्ठा हुए। उनके शव शिफ़ा अस्पताल परिसर में सफ़ेद चादरों में लिपटे हुए रखे गए थे।
पैलेस्टीन जर्नलिस्ट सिंडिकेट के अहद फरवाना ने कहा कि पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई करने का आग्रह किया।
एपी अमित नेत्रपाल
नेत्रपाल