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Tuesday, August 12, 2025

राज्यों के बीच विवाद, अध्ययन में अंतराल नदी-जोड़ो अभियान में बाधा: संसदीय समिति

Newsराज्यों के बीच विवाद, अध्ययन में अंतराल नदी-जोड़ो अभियान में बाधा: संसदीय समिति

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) संसद की एक समिति ने कहा है कि जल संकट, सूखे और बाढ़ से निपटने के लिए शुरू किया गया नदी-जोड़ो कार्यक्रम देरी, अपर्याप्त अध्ययन और राज्यों के बीच लगातार विवादों के कारण योजना चरण से आगे बढ़ने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।

सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर अपनी सातवीं रिपोर्ट में जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने कहा कि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत चिह्नित सभी 30 परियोजनाओं के लिए पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन पूरा हो चुका है और 24 के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, जबकि केवल 11 के लिए ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) उपलब्ध हैं।

केवल एक परियोजना – केन-बेतवा – वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन है, जिसके मार्च 2030 तक पूरा होने का लक्ष्य है।

समिति ने कहा कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और राज्य प्रतिपूर्ति के लिए 2024-25 में 4,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी, लेकिन चिंताओं को दूर करने के लिए ‘‘कई बैठकों’’ के बावजूद राज्यों के बीच आम सहमति ‘‘एक निरंतर बाधा बनी हुई है।’’

इसने जल शक्ति मंत्रालय से डीपीआर पूरा होने से पहले और अधिक परियोजनाओं के लिए सामाजिक-आर्थिक, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक लाभ अध्ययन करने का आग्रह किया। साथ ही, यह तर्क दिया कि इससे राज्य का समर्थन प्राप्त करने और काम में तेजी लाने में मदद मिल सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसलिए, समिति अपनी सिफारिश दोहराती है और विभाग से परियोजनाओं के लाभों का मूल्यांकन करने के लिए और अधिक अध्ययन का आग्रह करती है, जिससे संबंधित राज्यों में जागरूकता बढ़े और कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आए।’’

समिति ने यह भी चेतावनी दी कि बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के अंतर्गत निधियों का कम उपयोग इसकी प्रभावशीलता को कमजोर कर सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व योजना अवधि की तीस परियोजनाएं अब भी अधूरी हैं। समिति ने इन्हें समय पर पूरा करने पर अधिक ध्यान देने की अपील की है, विशेष रूप से भीषण बाढ़ की आशंका वाले सीमावर्ती राज्यों में।

रिपोर्ट में जल शक्ति मंत्रालय से तीन महीने के भीतर जनशक्ति की कमी, अध्ययन पूरा होने और दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन में प्रगति पर रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया है।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

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