नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के कार्यालय ने सोमवार को मानहानि के एक मामले में मेधा पाटकर की दोषसिद्धि को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने को एक ‘‘बड़ी जीत’’ करार दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 2001 में सक्सेना द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से पाटकर को दोषी करार दिए जाने को बरकरार रखा।
उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई को शहर की एक अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता को इस मामले में दोषी करार दिया गया था।
राजनिवास ने कहा कि 2001 में, गैर-लाभकारी संस्था नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष के रूप में, सक्सेना ने 24 नवंबर 2000 को उनके खिलाफ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेताओं में से एक पाटकर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
इसमें कहा गया कि 23 साल बाद साकेत जिला अदालत ने पाटकर को इस मामले में दोषी करार दिया।
राजनिवास के मुताबिक, जिस समय यह विवाद उत्पन्न हुआ उस समय सक्सेना और उनका संगठन गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के निर्माण का समर्थन कर रहे थे।
पाटकर ने गुजरात में बांध के निर्माण का विरोध करते हुए दावा किया कि इससे लोगों का विस्थापन होगा।
भाषा धीरज नेत्रपाल
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