प्रयागराज, 11 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय के चार अगस्त के आदेश के बाद विवादों के केंद्र में रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार एक वरिष्ठ न्यायाधीश की अध्यक्षता में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ में बैठेंगे और दीवानी मामलों की सुनवाई करेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने चार अगस्त को दिए आदेश के पैराग्राफ 24 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार से आपराधिक मामले तत्काल वापस लेने का निर्देश दिया था।
बाद में, प्रधान न्यायाधीश के हस्तक्षेप के बाद उच्चतम न्यायालय की उसी पीठ ने इस मामले पर विचार किया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के खिलाफ की गई टिप्पणी हटा दी और साथ ही यह निर्देश भी दिया कि उन्हें सेवानिवृत्ति तक कोई आपराधिक मामला न दिया जाए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर पूर्ण पीठ की बैठक बुलाने और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के खिलाफ उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन नहीं करने का आग्रह किया था।
दिलचस्प है कि यह पत्र न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा द्वारा लिखा गया था जो नए रोस्टर के मुताबिक वरिष्ठ न्यायाधीश के तौर पर अब न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के साथ बैठेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए चार अगस्त के अपने आदेश में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के तर्क की कड़ी आलोचना की थी और उनके इस निष्कर्ष पर हैरानी जताई थी। न्यायमूर्ति कुमार ने कहा था, ‘‘शिकायतकर्ता को दीवानी मुकदमा चलाने के लिए कहना बहुत अनुचित होगा, क्योंकि दीवानी मुकदमों में लंबा समय लगता है इसलिए शिकायतकर्ता को बकाया वसूली के लिए आपराधिक मुकदमा करने की अनुमति दी जा सकती है।’’
भारत के प्रधान न्यायाधीश के अनुरोध पर आठ अगस्त को इस मामले की फिर से सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को शर्मिंदा करने या उन पर कलंक लगाने का नहीं था, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा बनी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए ये टिप्पणियां की गई थीं।
यद्यपि उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने चार अगस्त के अपने आदेश से पैराग्राफ 25 और 26 के हटा लिया, साथ ही पीठ ने यह भी कहा, “हम इसे (पैराग्राफ 24 को लागू करना) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विवेकाधिकार पर छोड़ते हैं।”
नए रोस्टर के मुताबिक, न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ परिवार अदालत के निर्णयों के खिलाफ अपील, गुजारा भत्ता से जुड़े मामलों और माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण से जुड़े मामले और अन्य विविध मामले सुनेगी।
भाषा राजेंद्र सुरेश
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