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Thursday, August 14, 2025

‘वोट चोरी’ संबंधी टिप्पणी को लेकर मंत्री के. एन. राजन्ना को कर्नाटक मंत्रिमंडल से किया गया बर्खास्त

News‘वोट चोरी’ संबंधी टिप्पणी को लेकर मंत्री के. एन. राजन्ना को कर्नाटक मंत्रिमंडल से किया गया बर्खास्त

(तस्वीरों के साथ)

बेंगलुरु, 11 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के. एन. राजन्ना को सोमवार को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को निर्देश दिया था कि वह उन्हें उनके ‘वोट चोरी’ वाले बयान को लेकर पद से हटा दें क्योंकि इस बयान से पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।

अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजन्ना ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान, पार्टी अध्यक्ष और महासचिव के सी वेणुगोपाल को उनके बारे में कुछ ‘गलतफहमी’ है तथा वह इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए वरिष्ठ विधायकों एवं मंत्रियों के साथ दिल्ली जाएंगे।

इस बीच, विपक्षी दल भाजपा नेताओं ने सोमवार को कहा कि सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना को ‘वोट चोरी’ मुद्दे पर सच बोलने के कारण कर्नाटक मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।

भाजपा ने कहा कि यह घटनाक्रम राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर विभाजन को भी दर्शाता है।

मंत्री को हटाए जाने को अनुसूचित जनजाति समुदाय के साथ ‘विश्वासघात’ करार देते हुए, भाजपा नेता आर अशोक ने कहा कि राज्य में ‘क्रांतिकारी राजनीतिक घटनाक्रम’, जिसकी उन्होंने अक्टूबर तक भविष्यवाणी की थी, अगस्त में ही शुरू हो गया था और ‘सरकार गिर जाएगी।’

राजन्ना का अनुसूचित जाति से ताल्लुक है।

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रारंभ में सिद्धरमैया ने राजन्ना से इस्तीफा देने को कहा था, लेकिन जब उन्होंने (राजन्ना ने) इस्तीफा नहीं दिया, तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक, राजन्ना को हटाने के लिए मुख्यमंत्री ने दोपहर में राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र भेजा और राजभवन ने सिफारिश स्वीकार कर ली।

राज्यपाल के विशेष सचिव आर प्रभुशंकर ने कर्नाटक की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को भेजे पत्र में कहा है, ‘‘सहकारिता मंत्री श्री के एन राजन्ना को मंत्रिपरिषद से तत्काल प्रभाव से हटाने से संबंधित माननीय राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित मूल अधिसूचना मुझे आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए अग्रेषित करने का निर्देश दिया गया है।’’

सिद्धरमैया के वफादार राजन्ना ने तब कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी मोल ले ली थी जब उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में ‘वोट चोरी’ के लिए कर्नाटक में अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को कथित तौर पर जिम्मेदार ठहराया था। यह बयान पार्टी के रूख से बिल्कुल विपरीत था।

राजन्ना ने कथित रूप से कहा कि ‘वोट चोरी हमारी नजरों के बिल्कुल सामने हुई।’’

राहुल गांधी ने हाल में नयी दिल्ली में प्रेसवार्ता और बाद में बेंगलुरु में एक जनसभा की थी, जहां उन्होंने दावा किया था कि केंद्र की भाजपा सरकार ‘वोट चोरी’ के कारण सत्ता में आई है।

उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का भी हवाला दिया।

सूत्रों ने बताया कि राजन्ना की टिप्पणी पर पार्टी के भीतर तत्काल प्रतिक्रिया हुई और पार्टी आलाकमान ने इसे गंभीरता से लिया तथा अंततः मुख्यमंत्री को उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का निर्देश दिया।

हाल के महीनों में, राजन्ना ने सार्वजनिक रूप से बोर्ड और निगमों में नियुक्तियों के तरीके की आलोचना की थी, कांग्रेस में ‘‘सत्ता के बहुत अधिक केंद्रों’’ के बारे में बात की थी, और सितंबर के बाद बड़े राजनीतिक बदलावों का संकेत दिया था।

यह मामला सोमवार को कर्नाटक विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा का विषय बन गया, जब भाजपा विधायकों ने कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल और राजन्ना से इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।

विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए, नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के नेता आर अशोक ने राजन्ना पर लगे विशिष्ट आरोपों के बारे में जानना चाहा। उन्होंने कहा, ‘‘क्या राजन्ना पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप हैं? उन्होंने कितना पैसा कमाया है और उसे कहां रखा है?..’’

निष्कासन के राजनीतिक निहितार्थों पर अटकलें लगाते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘वह (राजन्ना) सिद्धरमैया के एकमात्र वफादार थे। क्या उनके निष्कासन के बाद सिद्धरमैया अगला निशाना होंगे?’’

चर्चा के दौरान, भाजपा विधायक एस. सुरेश कुमार ने कहा कि चूंकि यह खबर विधानमंडल सत्र के दौरान सामने आई, इसलिए बयान जारी करना सरकार का कर्तव्य है।

जवाब में, मंत्री पाटिल ने इस मांग को खारिज कर दिया और कहा कि सिर्फ मीडिया द्वारा इस मामले की रिपोर्टिंग के आधार पर सरकार से जवाब की उम्मीद नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा कोई घटनाक्रम होता है, तो मुख्यमंत्री आपको जरूर सूचित करेंगे। सत्र चल रहा है और यह चर्चा अनावश्यक है।’’

विपक्षी भाजपा विधायकों ने जानना चाहा कि राजन्ना सदन में मंत्री के तौर पर बैठे हैं या ‘साधारण’ विधायक के तौर पर।

अशोक ने पत्रकारों से कहा,‘‘’कांग्रेस पार्टी अब डीके (शिवकुमार) और सिद्धरमैया के बीच बंट गई है, यह (सरकार) गिर जाएगी।’’

उन्होंने दावा किया कि सिद्धरमैया के विकेट गिर रहे हैं और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार मजबूत हो रहे हैं।

भाषा

राजकुमार संतोष

संतोष

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