राजस्थान में विधानसभा का मानसून सत्र 1 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इस बार का सत्र राजनीतिक रूप से खासा गरम रहने के आसार हैं, क्योंकि सरकार ने ऐलान किया है कि वह इस सत्र में धर्मांतरण विरोधी बिल को न केवल चर्चा के लिए लाएगी, बल्कि इसे पारित भी कराएगी।
बजट सत्र में रह गया था अधूरा
सरकार ने यह बिल 3 फरवरी को बजट सत्र में ही पेश कर दिया था, लेकिन उस समय सदन में हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। अब सरकार का कहना है कि मानसून सत्र में इसे प्राथमिकता से पारित कराया जाएगा।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस कानून के लागू होने के बाद राज्य में लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण जैसे मामलों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।
कांग्रेस का आरोप – नया कानून सियासी हथकंडा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने बिल पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा—अवैध धर्मांतरण के खिलाफ पहले से ही कानून मौजूद है। नया कानून लाना सिर्फ सियासी हथकंडा और जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी भी तरह के दबाव, लालच या जोर-जबरदस्ती से धर्मांतरण की समर्थक नहीं है और इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की पक्षधर है, लेकिन उनका आरोप है कि सरकार की नीयत इस मामले में साफ नहीं है।
बीजेपी का पलटवार – तुष्टीकरण की राजनीति
दूसरी ओर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा—कांग्रेस पार्टी हमेशा से तुष्टीकरण की राजनीति करती आई है। लव जिहाद के नाम पर डर, दबाव और लालच देकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है, जिसे रोकना बेहद जरूरी है।
डॉ. पूनिया ने कहा कि अगर सरकार कानून बनाकर लोगों के जीवन और समाज की सुरक्षा करना चाहती है, तो कांग्रेस को इसका विरोध नहीं करना चाहिए। उनका आरोप है कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए जरूरी मुद्दों पर भी अड़चन डालती है।
सदन में गरमा सकता है माहौल
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि धर्मांतरण विरोधी बिल पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टकराव की स्थिति बन चुकी है।
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कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीतिक एजेंडा बता रही है।
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बीजेपी इसे समाज की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए आवश्यक कानून बता रही है।
सत्र के दौरान इस मुद्दे पर हंगामा और गरमा-गरम बहस होना तय माना जा रहा है। इसके अलावा, सरकार कई अन्य अहम विधेयक भी पेश करने की तैयारी में है।
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Q. राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र कब से शुरू होगा और इसका मुख्य मुद्दा क्या है?
Ans. राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र 1 सितंबर से शुरू होगा और इसका मुख्य मुद्दा धर्मांतरण विरोधी बिल है।
Q. बजट सत्र में धर्मांतरण विरोधी बिल पर चर्चा क्यों नहीं हो पाई थी?
Ans. 3 फरवरी को बजट सत्र में बिल पेश किया गया था, लेकिन सदन में हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी।
Q. कांग्रेस और बीजेपी की इस बिल पर क्या राय है?
Ans. कांग्रेस का कहना है कि अवैध धर्मांतरण के खिलाफ पहले से कानून मौजूद है और नया बिल सिर्फ सियासी हथकंडा है, जबकि बीजेपी का कहना है कि बड़े पैमाने पर लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण हो रहा है, जिसे रोकना जरूरी है।
Q. राजनीतिक जानकार इस मुद्दे पर सत्र का माहौल कैसा मान रहे हैं?
Ans. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि धर्मांतरण विरोधी बिल पर कांग्रेस और बीजेपी में सीधा टकराव होगा और सत्र का माहौल गरम रहेगा।