ठाणे, 12 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) ने सामान पहुंचाने वाली (डिलीवरी) कंपनी के प्रतिनिधि के परिवार को 23.75 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसकी चार साल पहले एक ट्रक की चपेट में आने से मृत्यु हो गई थी।
अधिकरण ने पाया कि आरोपी ट्रक चालक के पास दुर्घटना टालने का ‘आखिरी मौका’ था, लेकिन ट्रक के पिछले पहिये मृत व्यक्ति की कमर और जांघ के ऊपर से गुजर गए।
एमएसीटी के सदस्य आर वी मोहिते ने सोमवार को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘यह चालक की लापरवाही के साथ-साथ वाहन की तेज गति को भी दर्शाता है।’
पीड़ित का नाम हनीफ शाहिद कुरैशी (मृत्यु के समय उम्र 33) था, जो 21 मार्च, 2021 को सामान पहुंचाने (डिलीवरी) के लिए अपनी मोटरसाइकिल से महाराष्ट्र के ठाणे जिले में भिवंडी की ओर जा रहा था।
मुंबई-नासिक राजमार्ग पर कलवा इलाके के खरेगांव में एक ट्रक ने उसकी मोटरसाइकिल को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे कुरैशी गंभीर रूप से घायल हो गया और अगले दिन कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
दुर्घटना के बाद उसकी पत्नी और नाबालिग बेटी ने उसकी मृत्यु के लिए मुआवजे की मांग करते हुए अधिकरण का दरवाजा खटखटाया।
अधिकरण ने ट्रक के बीमाकर्ता द्वारा दिए गए ‘मृत व्यक्ति की लापरवाही से हुई दुर्घटना’ के तर्क को खारिज कर दिया।
अधिकारी ने कहा, ‘‘पुलिस ने मृत व्यक्ति की तरफ से कोई लापरवाही नहीं पाई।’’ उन्होंने कहा कि दुर्घटना के समय पीड़ित के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था।
हालांकि, अधिकरण ने पाया कि घटना के समय ट्रक चालक के पास लाइसेंस नहीं था।
इस प्रकार, अधिकरण ने पाया कि ट्रक के मालिक ने बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है।
अधिकरण ने पीड़ित की अनुमानित मासिक आय 12,000 रुपये आंकी तथा याचिका दायर करने की तिथि से राशि जमा करने तक 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित 23,75,400 लाख रुपये का मुआवजा अदा करने का आदेश दिया।
एमएसीटी के आदेश में कहा गया है कि बीमाकर्ता को पहले मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा और फिर वह इस रकम को वाहन के मालिक से वसूल कर सकती है।
आदेश के अनुसार, कुल राशि में से 11,75,400 रुपये पीड़ित की पत्नी को, 9 लाख रुपये उसकी बेटी को और 3 लाख रुपये उसके पिता को दिए जाएंगे।
भाषा सुमित दिलीप
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