नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई को पत्र लिखकर दिल्ली में आवारा कुत्तों को सड़क से हटाने के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगाने की अपील की।
शीर्ष अदालत के इस फैसले को लेकर खासकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है।
इसमें एक पक्ष उच्चतम न्यायालय के सोमवार के निर्देश का समर्थन कर रहा है और आवारा कुत्तों से निवासियों को होने वाली असुविधा व रेबीज के खतरे का हवाला दे रहा है जबकि दूसरा पक्ष इसे अव्यावहारिक और अमानवीय बता रहा है।
राज्यसभा सदस्य गोखले ने प्रधान न्यायाधीश को लिखे एक पत्र में दलील दी कि उच्चतम न्यायालय का निर्देश पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 का उल्लंघन करता है।
उन्होंने आग्रह किया कि उच्चतम न्यायालय को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे का समग्र और मानवीय समाधान सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों व अन्य हितधारकों की एक समिति गठित करने पर विचार करना चाहिए।
गोखले ने यह भी कहा कि इस फैसले में बड़ी संख्या में पशु आश्रय स्थल स्थापित करने में आने वाली बाधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने पत्र में कहा कि इस फैसले का परिणाम यह होगा कि दिल्ली के सभी आवारा कुत्ते ‘‘बेहद अमानवीय परिस्थितियों में निश्चित मौत’’ के हवाले कर दिए जाएंगे। गोखले ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “मैंने आज (मंगलवार) सुबह भारत के माननीय प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर दिल्ली में आवारा कुत्तों के संबंध में कल (सोमवार को) उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश पर रोक लगाने और एक बड़ी पीठ द्वारा आदेश की समीक्षा किए जाने की अपील की।”
उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों के प्रबंधन के साथ-साथ लोगों की सुरक्षा का मुद्दा निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
गोखले ने कहा, “हालांकि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसे बिना किसी व्यापक परामर्श प्रक्रिया के न्यायपालिका के मनमाने आदेशों से सुलझाया जा सके। इसके अलावा, निहत्थे जानवरों पर बेतहाशा क्रूरता करना कभी भी समाधान नहीं हो सकता।”
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
नेत्रपाल