नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) विशेषज्ञों के एक समूह ने ‘एक साथ चुनाव’ कराने संबंधी विधेयक पर विचार कर रही संसदीय समिति को दिए गए अपने सुझावों में राजनीतिक दलों के संगठन में महिलाओं के लिए आरक्षण तथा पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र की कार्यप्रणाली की निगरानी के लिए निर्वाचन आयोग को सशक्त करने की वकालत की है।
भाजपा के पूर्व सांसद विनय सहस्रबुद्धे सहित अन्य विशेषज्ञ सोमवार को समिति के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को अपना पूर्ण समर्थन दिया।
उन्होंने तर्क दिया कि एक साथ चुनाव कराना ‘‘सभी सुधारों की जननी’’ साबित होगा। सहस्रबुद्धे ने कहा कि कई अन्य लोकतांत्रिक सुधारों की भी बहुत आवश्यकता है और उन्होंने भाजपा सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति को ‘‘लोकतांत्रिक सुधारों के लिए सुझावों की सूची’’ सौंपी।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी राजनीतिक दलों को अपने पार्टी संगठन में महिलाओं को कोटा मुहैया कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।’’ उन्होंने इसे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण का पूरा लाभ उठाने की दिशा में महिलाओं को तैयार करने के वास्ते आवश्यक उपायों में से एक बताया।
रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी और भारतीय लोकतांत्रिक नेतृत्व संस्थान के संस्थापक उपाध्यक्ष सहस्रबुद्धे के अलावा अन्य विशेषज्ञों में मिरांडा हाउस के शासी निकाय के अध्यक्ष जी गोपाल रेड्डी, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय की पूर्व प्रो-वाइस चांसलर सुषमा यादव, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद की महासचिव शीला राय और गुवाहाटी विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं दक्षिण पूर्व एशिया केंद्र के निदेशक एन. गोपाल महंत शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि पुरुष राजनीतिक नेताओं को लैंगिक न्याय से संबंधित मुद्दों के प्रति अधिक जागरूक बनाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है तथा उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा सहकारी समितियों, आवास निकायों, विश्वविद्यालय सीनेट और प्रबंधन परिषदों जैसे ‘‘सभी क्षेत्रों में निर्वाचन वाले सभी निकायों’ में महिलाओं के लिए कम से कम 30 प्रतिशत कोटा अनिवार्य करने की संभावना तलाशने की अपील की।
चुनाव प्रचार अभियान सुधारों का प्रस्ताव करते हुए, उन्होंने चुनाव लड़ने वाले दलों द्वारा एक घोषणापत्र और उसके बाद एक अनिवार्य कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) प्रकाशित करना अनिवार्य करने की सिफारिश की।
उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को एक घोषणापत्र और उसके बाद एटीआर भी जारी करना चाहिए।
चुनाव प्रचार खर्च कम करने के अपने सुझाव में उन्होंने कहा कि दूरदर्शन के साथ-साथ निजी टीवी चैनलों को भी हर राज्य के पार्टी नेताओं के चुनावी भाषणों का प्रसारण अनिवार्य किया जाना चाहिए।
भाषा सुभाष दिलीप
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