दीमापुर, 12 अगस्त (भाषा) आरक्षण नीति की समीक्षा पर पांच जनजातियों की समिति (सीओआरआरपी) ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह सहित नगालैंड सरकार के कार्यक्रमों में भाग नहीं लेने का अपना रुख दोहराया और अपने सदस्यों के लिए एक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया।
सीओआरआरपी के संयोजक टेसिनलो सेमी ने एक बयान में कहा कि जब तक राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक गैर-भागीदारी जारी रहेगी।
सीओआरआरपी आरक्षण समीक्षा आयोग से नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों को हटाने, यह सुनिश्चित करने की मांग कर रही है कि इसका कार्यकाल छह महीने से अधिक न हो और यदि परिणाम को जनगणना से जोड़ा जाना है तो पिछड़ी जनजाति आरक्षण नीति को निलंबित किया जाए।
ये दिशानिर्देश अंगामी, एओ, लोथा, रेंगमा और सुमी जनजातियों के शीर्ष निकायों के अध्यक्षों और चेयरमैन को भेजे गए।
सीओआरआरपी ने पांच शीर्ष निकायों से कहा कि वे कोहिमा, मोकोकचुंग, वोखा, त्सेमिन्यु, जुन्हेबोटो, दीमापुर, चुमाउकेदिमा और निउलैंड जिलों में स्थित अपने प्रमुख संगठनों और उप-इकाइयों को दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए कहें।
इसने जनता से स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वेच्छा से दूर रहने का आग्रह किया।
इसने यह भी निर्देश दिया कि पांच जनजातियों के सांस्कृतिक समूहों को किसी भी तरह से भाग नहीं लेना चाहिए और छात्र निकायों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि स्कूल और कॉलेज छात्रों को अपने परिसरों के बाहर समारोहों में भाग लेने के लिए मजबूर न करें।
सीओआरआरपी ने इस बात पर जोर दिया कि गैर-भागीदारी ‘‘शांतिपूर्ण ढंग से और बिना किसी टकराव के’’ की जानी चाहिए।
राज्य सरकार ने छह अगस्त को राज्य की आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए सात सदस्यीय आयोग के गठन की घोषणा की थी। इस आयोग में ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन, सेंट्रल नगालैंड ट्राइब्स काउंसिल और तेन्यिमी यूनियन नगालैंड के प्रतिनिधि शामिल हैं।
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अमित प्रशांत
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