नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मेघालय सरकार को राज्य के खासी हिल्स में कथित अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने प्राचीन वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन गतिविधियों के बारे में अवगत कराया।
असम सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायालय को बताया कि मेघालय में अवैध खनन गतिविधियों के कारण उनका राज्य बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे नागरिकों को कठिनाई हो रही है।
पीठ ने कहा, “इसलिए, हम मेघालय सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में चार सप्ताह का समय देते हैं, जिसमें यह बताया जाए कि अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं।”
वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने क्षेत्र का दौरा किया और बड़े पैमाने पर खनन गतिविधि देखी।
उन्होंने कहा कि मेघालय ने इस मामले में समिति को कोई जवाब नहीं दिया। मेघालय सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि समिति ने 18 जुलाई को स्थल का निरीक्षण किया और राज्य को एक प्रश्नावली सौंपी, जिसके बाद राज्य सरकार ने अपना जवाब प्रस्तुत किया।
पीठ ने हालांकि कहा कि समिति को यह प्राप्त नहीं हुआ है।
मेघालय सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) अवैध खनन के मुद्दे पर पहले ही एक विस्तृत आदेश दे चुका है।
उन्होंने दलील दी कि राज्य में अवैध खनन बंद है और केवल वैध खनन की ही अनुमति है।
पीठ ने मामले की सुनवाई सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
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