नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सभी आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों पर स्थानांतरित करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद, कुछ पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) केंद्रों ने जानकारी दी कि आवारा कुत्तों को उठाने के साथ-साथ अपने पालतू कुत्तों को लौटाने को लेकर आने वाले कॉल की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, कुछ अन्य ने कहा कि स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
‘‘नेबरहुड वूफ’’ नामक एबीसी केंद्र की आयशा क्रिस्टीन बेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनसे कहा गया है कि नसबंदी के लिए लाए गए कुत्तों को उनके मूल स्थान पर वापस न भेजा जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यहां आवारा कुत्तों को न छोड़ने के लिए कहा गया है। हर साल, हम लाल किला क्षेत्र से नसबंदी के लिए कुत्ते लाते हैं, और उनमें से ज्यादातर की नसबंदी हो चुकी होती है, बस कुछ अपवादों को छोड़कर। अब हमें नहीं पता कि इन कुत्तों को कहां रखा जाए, क्योंकि इनकी संख्या बढ़ती जाएगी।’’
इसी प्रकार, पशु राहत बसेरा (एआरबी) ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बाद कॉल की संख्या में वृद्धि हुई है। उसने बताया कि पहले जहां रोजाना 50 से 70 कॉल आती थीं, वहीं अब यह संख्या 300 से अधिक हो गई है।
एआरबी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस दुष्प्रचार के कारण कई पालतू पशु मालिक डरे हुए हैं। हमें कई ऐसे मामले मिले हैं, जहां मालिकों ने अपने कुत्तों, खासकर पिटबुल, को छोड़ दिया है। हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं और पशु कल्याण के लिए काम करते रहेंगे।’’
इसके विपरीत, पीएडब्ल्यूएस इंडिया और फ्रेंडिकोज एसईसीए ने गोद लेने या बचाव अनुरोधों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होने की सूचना दी तथा कहा कि उसे अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव के कोई नए निर्देश नहीं मिले हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अदालत के आदेश के बाद, शायद यह पहला दिन है। आने वाले दिनों में, हम बदलाव देख सकते हैं, लेकिन अभी तक स्थिति वही है।’’
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निकाय सभी आवारा पशुओं को हटाकर आश्रय स्थलों में रखें। आदेश में चेतावनी दी गई है कि कुत्तों को हटाने की प्रक्रिया में बाधा डालने वाले व्यक्ति या संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि आवारा कुत्तों के काटने से, खासतौर पर बच्चों में होने वाली रेबीज की समस्या बेहद गंभीर है।
भाषा
धीरज सुरेश
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