जोधपुर, 12 अगस्त (भाषा) राजस्थान उच्च न्यायालय ने शहर की सड़कों और राजमार्गों पर आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए सोमवार को व्यापक अंतरिम निर्देश जारी किए।
यह कदम उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को ‘‘जल्द से जल्द’’ सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश देने के एक दिन बाद आया है।
उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के सभी नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक क्षेत्रों से आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाएं, तथा यह भी सुनिश्चित करें कि स दौरान उन्हें न्यूनतम शारीरिक क्षति पहुंचे।
न्यायमूर्ति कुलदीप माथुर और न्यायमूर्ति रवि चिरानिया की खंडपीठ ने चेतावनी दी कि नगर निगम के कर्मचारियों के इस कार्य में बाधा डालने वाले व्यक्तियों या समूहों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगीं। खंडपीठ ने कहा कि इसमें संबंधित कानूनों के तहत प्राथमिकी दर्ज किया जाना भी शामिल है। अधिकारियों को इस तरह के हस्तक्षेप के खिलाफ कार्रवाई करने की पूरी छूट दी गई है।
एक विशिष्ट निर्देश में, जोधपुर नगर निगम को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और जिला अदालत परिसरों से आवारा पशुओं को तुरंत हटाने का निर्देश दिया गया। ये दोनों ही अध्यधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्र हैं।
साथ ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण को नियमित रूप से राजमार्गों पर गश्त करने का आदेश भी दिया गया ताकि सड़कें वाहनों की सुचारू आवाजाही के लिए खुली रहें।
पीठ ने आवारा पशुओं के संबंध में शिकायत दर्ज कराने के लिए नगर निकायों को टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि यदि नागरिक करुणा या धार्मिक विश्वास के कारण ऐसे जानवरों को खाना खिलाना या उनकी देखभाल करना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा नगर पालिकाओं या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित निर्दिष्ट कुत्ता आश्रय स्थलों, तालाबों या गौशालाओं में करना चाहिए।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ सितंबर तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है, जिसमें आश्रयों की स्थिति और रखरखाव, पशुओं को हटाने के लिए जनशक्ति की उपलब्धता, चिकित्सकों और कर्मचारियों की संख्या आदि का उल्लेख किया गया हो।
भाषा सं कुंज अमित
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