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Wednesday, August 20, 2025

Ranthambore National Park: बाघों की निगरानी में ‘लूसी’ की एंट्री, रणथंभौर को मिला नया पहरेदार

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राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के शिकार पर रोक लगाने के लिए वन विभाग ने एक नई पहल शुरू की है। अब यहां स्निफर डॉग स्क्वायड की तैनाती की गई है, जो शिकार से जुड़े मामलों में अहम भूमिका निभाएंगे।

इससे पहले भी रणथंभौर में शिकार विरोधी केंद्र (Anti Poaching Centre) की स्थापना की जा चुकी है, लेकिन स्निफर डॉग स्क्वायड के आने से शिकार रोकने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। स्निफर डॉग स्क्वायड न केवल शिकार की घटनाओं को रोकने में मदद करेंगे, बल्कि शिकार और अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों की पहचान कर वन विभाग की टीम को अहम सुराग निकालने में भी मदद करेगा।

7 महीने की विशेष ट्रेनिंग

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण को और मजबूत करने के लिए तैनात किए गए फील्ड डायरेक्टर अनूप के. आर. ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डॉग स्क्वायड की तैनाती से पहले इन्हें आईटीबीपी (ITBP) पंचकूला में 7 महीने की विशेष ट्रेनिंग दी गई। इस स्क्वायड में बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल की मादा डॉग ‘लूसी’ शामिल है, जिसे प्रशिक्षित कर शिकार से जुड़े मामलों में काम करने के लिए तैयार किया गया है। लूसी के साथ दो प्रशिक्षक भी तैनात किए जाएंगे— डॉग हैंडलर फॉरेस्ट गार्ड मुकुट मीणा और असिस्टेंट डॉग हैंडलर फॉरेस्ट गार्ड रोहित मीणा।

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ट्रेनिंग के दौरान लूसी को शिकारियों और संदिग्ध वस्तुओं की गंध पहचानकर उन तक पहुंचने का अभ्यास कराया गया। लूसी, किसी भी वस्तु को सूंघकर अपराध स्थल और अपराध में शामिल आरोपियों तक पहुंचने में सक्षम है। उसकी यह क्षमता न केवल शिकारियों की पहचान में मदद करेगी, बल्कि शिकार से जुड़ी आपराधिक घटनाओं को सुलझाने में भी अहम साबित होगी।

अपराधों पर अंकुश लगाने में सफलता

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तैनात डॉग स्क्वायड को लेकर सीसीएफ अनूप के. आर. ने अहम जानकारी दी। उन्होंन बताया कि  दुनिया के कई राष्ट्रीय उद्यानों में डॉग स्क्वायड की तैनाती से शिकार, तस्करी और अन्य वन्यजीव अपराधों पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि कई बार शिकारी, जंगल में बारूद के गोले छिपा देते हैं, जिनके फटने से वन्यजीवों की मौत हो जाती है। लेकिन डॉग स्क्वायड की मदद से अब ऐसे बारूद के गोले शिकार से पहले ही खोजे जा सकेंगे और वन्यजीवों की जान बचाई जा सकेगी। राजस्थान में वन्यजीवों की सुरक्षा में उठाया गया यह कदम वाकई सराहनीय है और इससे वन्यजीवों की सुरक्षा पहले से बेहतर होगी।

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