बेंगलुरु, 14 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में कहा कि यदि विशेष जांच दल (एसआईटी) को पता चलता है कि धर्मस्थल में सामूहिक रूप से दफन करने’ के मामले में शिकायतकर्ता-गवाह के आरोप झूठे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई जा सकती है।
निष्पक्ष जांच पर जोर देते हुए परमेश्वर ने कहा, ‘इसमें कोई राजनीति या धर्म शामिल नहीं होना चाहिए। सच्चाई कानून के दायरे में सामने आनी चाहिए।’
उनकी यह टिप्पणी विधानसभा में एक चर्चा के दौरान आई, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने जांच के संबंध में सरकार के रवैये की आलोचना की तथा धर्मस्थल और वहां के मंदिर को निशाना बनाकर चलाए जा रहे झूठे अभियान के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।
विधायकों ने अंतरिम रिपोर्ट और शिकायतकर्ता तथा उसके पीछे कथित रूप से शामिल अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए दावा किया कि ये आरोप ‘हिंदू देवताओं और उनके पूजा स्थलों को बदनाम करने के लिए एक “टूलकिट’ का हिस्सा हैं।
राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) पिछले दो दशकों में धर्मस्थल में सामूहिक हत्या, बलात्कार और सामूहिक रूप से दफनाने के दावों की जांच कर रहा है।
परमेश्वर ने सदस्यों से अपील करते हुए कहा, ‘मेरा बस यही अनुरोध है कि इस मुद्दे को राजनीतिक या धार्मिक मोड़ नहीं लेना चाहिए। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि सरकार ने किसी दबाव में एसआईटी का गठन नहीं किया है। हम अब तक दबाव के आगे नहीं झुके हैं और भविष्य में भी नहीं झुकेंगे। हमारा ध्यान पूरी तरह से सच्चाई को उजागर करने और न्याय सुनिश्चित करने पर है।’
उन्होंने कहा, ‘यदि दावे झूठे पाए जाते हैं, तो बीएनएसएस सहित कानून के तहत झूठे आरोप लगाने वालों को दंडित करने के प्रावधान हैं। कोई भी जांच को गुमराह नहीं कर सकता।’
उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने कहा कि इस मामले में ‘राजनीति नहीं होनी चाहिए’ और धर्मस्थल के दार्शनिक और धार्मिक कार्यों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने कहा, ‘हमें धर्मस्थल, धर्माधिकारी और उनके कार्यों में विश्वास है।’
भाषा नोमान माधव
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