प्रयागराज (उप्र), 14 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हापुड़ स्थित जीएस मेडिकल कॉलेज द्वारा एमबीबीएस पाठ्यक्रम की फीस में की गयी वृद्धि पर रोक लगा दी है तथा राज्य सरकार एवं कॉलेज को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति सीडी सिंह ने आन्या पोरवाल और 239 अन्य एमबीबीएस विद्यार्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। सेमेस्टर के मध्य में यह फीस 11 लाख रुपये से बढ़ाकर 14 लाख रुपये कर दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि राज्य सरकार द्वारा पांच जुलाई, 2025 को जारी की गयी अधिसूचना मनमानी है और विवेक का इस्तेमाल किए बगैर इसे जारी किया गया है। उनका कहना है कि उक्त अधिसूचना जारी करते समय सरकार अन्य विविध शुल्कों पर विचार करने में विफल रही जिसे इस सत्र के दौरान पहले ही बढ़ाया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि आठ महीने के भीतर एमबीबीएस पाठ्यक्रम की फीस दूसरी बार बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है खासकर तब जब इन याचिकाकर्ताओं द्वारा विविध शुल्कों को पहले ही जमा किया जा चुका है।
वहीं दूसरी ओर, सरकारी वकील ने कहा कि यह फीस वृद्धि कानून के मुताबिक की गई है और उक्त अधिसूचना में कोई अवैध बातें या त्रुटि नहीं है तथा मौजूदा रिट याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सिंह ने बुधवार को दिए अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादी के वकीलों की दलीलों पर विचार करने और रिट याचिका में उल्लिखित बातों पर ध्यान देते हुए मेरा मानना है कि इस मामले में विचार किए जाने की जरूरत है।”
अदालत ने इस मामले पर 17 सितंबर, 2025 को नए सिरे से सुनवाई करने और तब तक के लिए उक्त अधिसूचना पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
भाषा राजेंद्र
राजकुमार
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