राजस्थान की राजनीति में बिजली का बिल एक तकनीकी मसला भर नहीं रह गया है, बल्कि यह सत्ता और जवाबदेही के टकराव का प्रतीक बन चुका है। ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर ने हाल ही में यह स्पष्ट संदेश दिया कि कार्रवाई समान रूप से होगी, कोई अधिकारी दबाव में नहीं है। सतह पर यह बयान प्रशासनिक निष्पक्षता का दावा लगता है, लेकिन इसके भीतर राजनीतिक संकेत कहीं गहरे हैं।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मंत्री पर आरोप लगाया कि उनके खिलाफ बिजली विभाग की कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि मंत्री स्वयं पर भी लाखों का बकाया है। जवाब में नागर ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि मंत्रियों के आवास का बिल सरकार चुकाती है और बेनीवाल की पुरानी प्रवृत्ति, बिजली का बिल मत भरो, ट्रांसफार्मर उठा ले जाओ, अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
असल प्रश्न यही है कि जनता को क्या संदेश जाता है, जब एक ओर मंत्री और सांसद मंच से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं, और दूसरी ओर आम उपभोक्ता से समय पर बिल अदा करने की अपेक्षा की जाती है। नागर का यह कहना कि चोरी कम होगी तो, पूरी बिजली मिलेग, केवल एक तकनीकी तथ्य नहीं, बल्कि व्यवस्था की साख पर टिप्पणी भी है।
लोकतंत्र में नियम सबके लिए समान होने चाहिए। चाहे सत्ता पक्ष का मंत्री हो या विपक्ष का सांसद, अगर वे स्वयं नियमों को लेकर ढिलाई बरतते हैं, तो जनता में यह धारणा बनना स्वाभाविक है कि नियम सिर्फ़ कमजोरों के लिए हैं। इस पूरे विवाद का सार यही है कि प्रशासन की कार्रवाई न केवल निष्पक्ष होनी चाहिए, बल्कि निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए। और जनप्रतिनिधियों को अपनी भाषा और व्यवहार से यह साबित करना होगा कि वे जनता से ऊपर नहीं हैं।
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Q. राजस्थान की राजनीति में बिजली बिल का मुद्दा क्यों केवल तकनीकी मसला नहीं रह गया है?
Ans. क्योंकि यह अब सत्ता और जवाबदेही के टकराव का प्रतीक बन चुका है, जहाँ मंत्री और सांसद एक-दूसरे पर राजनीतिक आरोप लगा रहे हैं।
Q. हनुमान बेनीवाल ने ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर पर क्या आरोप लगाया?
Ans. उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली विभाग की कार्रवाई उनके खिलाफ राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और यह भी कहा कि मंत्री पर स्वयं लाखों रुपये का बकाया है।
Q. मंत्री हीरालाल नागर ने बेनीवाल की किस पुरानी प्रवृत्ति का ज़िक्र किया?
Ans. उन्होंने कहा कि बेनीवाल की पुरानी प्रवृत्ति रही है—“बिजली का बिल मत भरो, ट्रांसफार्मर उठा ले जाओ”—और अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
Q. इस पूरे विवाद से जनता को क्या संदेश जाता है?
Ans. जनता को यह संदेश जाता है कि अगर जनप्रतिनिधि खुद नियमों का पालन नहीं करते तो यह धारणा बनती है कि नियम केवल कमजोरों के लिए हैं। इसलिए प्रशासन की कार्रवाई न केवल निष्पक्ष होनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए।