26.3 C
Jaipur
Thursday, August 21, 2025

1947 में नहीं.. 2025 में इस गांव में पहली बार फहराया गया तिरंगा; जानिए वजह

News1947 में नहीं.. 2025 में इस गांव में पहली बार फहराया गया तिरंगा; जानिए वजह

स्वतंत्रता दिवस पर महाराष्ट्र के एक के आदिवासी इलाकों में इतिहास रचा गया। महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले की सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच बसे उदाड्या गांव में पहली बार तिरंगा फहराया गया। गांव के शिक्षक गणेश पावरा ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देशभक्ति की अद्भुत मिसाल पेश की।

गांव में न बिजली है और न ही मोबाइल नेटवर्क, लेकिन पावरा ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने एक वीडियो डाउनलोड कर सीखा कि तिरंगे को किस तरह बांधा जाए कि वह बिना रुकावट शान से लहराए। शुक्रवार को गणेश पावरा ने करीब 30 बच्चों और ग्रामीणों के साथ मिलकर गांव में पहली बार झंडा फहराया। इस मौके पर सभी ने राष्ट्रगान गाकर देश के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई।

देशभक्ति और शिक्षा दोनों का अलख

मुंबई से करीब 500 किलोमीटर और सबसे नजदीकी तहसील से लगभग 50 किलोमीटर दूर बसे इस छोटे से गांव में करीब 400 लोग रहते हैं। हैरान कर देने वाली बात ये है कि यहां अब तक सरकारी स्कूल नहीं है। पावरा ‘वाईयूएनजी फाउंडेशन’ नामक गैर-सरकारी संस्था द्वारा संचालित स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं और अब वे ग्रामीणों के बीच देशभक्ति और शिक्षा दोनों की अलख जगा रहे हैं।

राष्ट्रीय ध्वज फहराने का फैसला

‘वाईयूएनजी फाउंडेशन’ के संस्थापक संदीप देओरे ने कहा, ‘‘यह इलाका प्राकृतिक सुंदरता, उपजाऊ मिट्टी और नर्मदा नदी से समृद्ध है। लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल होता है।’’ इस क्षेत्र में 3 वर्षों से शिक्षा संबंधी गतिविधियों को क्रियान्वित कर रहे फाउंडेशन ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर उदाड्या, खपरमाल, सदरी और मंझनीपड़ा जैसे छोटे गांवों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का फैसला किया।

ग्रामीणों का विश्वास जीतना आसान नहीं

फाउंडेशन द्वारा संचालित चार स्कूलों में पढ़ने वाले 250 से ज्यादा बच्चे शुक्रवार को झंडा फहराने के कार्यक्रम में शामिल हुए, साथ ही गांव के स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। फाउंडेशन के संस्थापक संदीप देओरे ने बताया कि शुरुआती दिनों में ग्रामीणों का विश्वास जीतना आसान नहीं था। उन्होंने कहा, पहले वे हिचकिचा रहे थे, लेकिन जब उन्हें हमारे इरादे सच्चे लगे तो उन्होंने पूरा सहयोग दिया।”

1. उदाड्या गांव में पहली बार तिरंगा फहराना ऐतिहासिक क्यों है?

स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी इस गांव में कभी राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया था। इस बार गांव के शिक्षक गणेश पावरा और ग्रामीणों ने मिलकर यह ऐतिहासिक पल बनाया।

 2. गांव में ध्वजारोहण की तैयारी कैसे की गई?

गांव में न बिजली है और न ही मोबाइल नेटवर्क, लेकिन गणेश पावरा ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पहले से एक वीडियो डाउनलोड कर तिरंगा सही तरीके से फहराने का तरीका सीखा और बच्चों को भी सिखाया।

 3. इस पहल में ‘वाईयूएनजी फाउंडेशन’ की क्या भूमिका रही?

फाउंडेशन पिछले 3 साल से यहां शिक्षा की अलख जगा रहा है। इस स्वतंत्रता दिवस पर फाउंडेशन ने उदाड्या सहित चार गांवों में पहली बार ध्वजारोहण कराने का फैसला किया।

 4. इस कार्यक्रम में कितने लोग शामिल हुए?

 फाउंडेशन द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले 250 से ज्यादा बच्चे और गांव के स्थानीय लोग कार्यक्रम में शामिल हुए और गर्व से राष्ट्रगान गाया।

 5. ग्रामीणों का सहयोग कैसे मिला?

शुरुआत में ग्रामीणों को हिचकिचाहट थी, लेकिन जब उन्होंने देखा कि फाउंडेशन और शिक्षक पावरा का उद्देश्य शिक्षा और जागरूकता है, तो उन्होंने पूरे दिल से सहयोग किया।

 

 

 

 

 

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles