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Tuesday, September 2, 2025

निर्वाचन आयोग राहुल के सवालों का जवाब नहीं दे सका; ‘वोट चोरी’ से सत्ता में आई ‘महायुति’: आव्हाड

Newsनिर्वाचन आयोग राहुल के सवालों का जवाब नहीं दे सका; 'वोट चोरी' से सत्ता में आई ‘महायुति’: आव्हाड

अकोला (महाराष्ट्र), 17 अगस्त (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने रविवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव में धांधली के संबंध में उठाए गए सवालों का जवाब देने में विफल रहा।

उन्होंने दावा किया कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हेराफेरी हुई थी और ‘महायुति’ गठबंधन ने वोट चुराकर जीत हासिल की।

अकोला में संवाददाता सम्मेलन में आव्हाड ने कहा, ‘महाराष्ट्र में (मतदान के अंतिम घंटे में) 76 लाख वोट कैसे बढ़ गए? मैं फिर से कह रहा हूं कि विधानसभा चुनाव में हेराफेरी हुई थी। यह सरकार वोट चुराकर सत्ता में आई।’

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दे सका।

आव्हाड ने अतीत में निर्वाचन आयोग द्वारा शिवसेना और राकांपा के अलग हुए गुटों को दी गई मान्यता का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा, ‘वे कैसे जवाब दे सकते हैं? वही निर्वाचन आयोग दलबदलुओं की पार्टियों को मंजूरी देता है। वे आरोपों को स्वीकार नहीं करेंगे।’

राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाए थे और 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में हेराफेरी करके एक लाख से ज़्यादा वोट ‘चुराए’ गए। उन्होंने अन्य राज्यों में भी इसी तरह की अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मतदाता सूची में अनियमितताओं के अपने आरोपों पर सात दिन के भीतर शपथपत्र देना चाहिए, अन्यथा उनके ‘वोट चोरी’ के दावे ‘‘निराधार और अमान्य’’ माने जाएंगे।

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एक सवाल पर आव्हाड ने आरोप लगाया कि विनायक दामोदर सावरकर ने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन किया था। उन्होंने दावा किया, ‘इस सिद्धांत के प्रस्तावक सावरकर थे, न कि महात्मा गांधी या जवाहरलाल नेहरू।’

कुछ नगर निकायों द्वारा स्वतंत्रता दिवस के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद, राकांपा (एसपी) नेता ने शाकाहारी या मांसाहारी भोजन चुनने की व्यक्तिपरक स्वतंत्रता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, ‘भारत में खाद्य संस्कृति का इतिहास लोगों को निर्णय लेने की आज़ादी देता है। जिन्होंने अंग्रेजों के साथ सहयोग किया, वे इतिहास को नहीं समझ पाएंगे।’

भाषा आशीष संतोष

संतोष

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