उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है। विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी पर भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है। बी सुदर्शन रेड्डी देश की न्यायपालिका में एक अहम पहचान रखते हैं और अब राजनीतिक मैदान में उतरकर विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष को चुनौती देंगे।
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। विपक्ष ने यह दांव ऐसे समय में चला है, जब आगामी चुनावी समीकरण को लेकर दोनों खेमों में हलचल तेज़ है। खास बात यह है कि इंडिया गठबंधन में सर्वसम्मति से नाम तय करने पर ज़ोर दिया जा रहा था। वहीं, ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने गैर-राजनीतिक चेहरे को आगे लाने की वकालत की थी।
इसी संदेश को मज़बूत करने के लिए गठबंधन ने बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम पर सहमति जताई। इस ऐलान के साथ ही उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सीधी टक्कर तय हो गई है। अब निगाहें 9 सितंबर पर टिकी हैं, जब यह चुनाव होगा।
न्यायपालिका और कानून के क्षेत्र में लंबा अनुभव
उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया गठबंधन की ओर से उम्मीदवार बनाए गए बी. सुदर्शन रेड्डी का न्यायपालिका और कानून के क्षेत्र में लंबा अनुभव रहा है। 1971 में वह हैदराबाद में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में रजिस्टर्ड हुए। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में रिट और सिविल मामलों में प्रैक्टिस की।
उस्मानिया विश्वविद्यालय के लिए कानूनी सलाहकार
1988 से 1990 तक सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील के रूप में अपनी सेवाएं दीं। 1990 में 6 महीने तक वह केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील भी रहे। इसके साथ ही उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के तौर पर भी काम किया।
राजनीति के नए सफर की ओर
2 मई 1995 को उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 5 दिसंबर 2005 को उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। न्यायपालिका में अपनी सेवाएं देने के बाद अब बी सुदर्शन राजनीति के नए सफर की ओर बढ़ रहे हैं।