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Thursday, August 21, 2025

आरएसएस के नेतृत्व ढांचे में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व हो : इंडिया टुडे समूह की उपाध्यक्ष कली पुरी

Newsआरएसएस के नेतृत्व ढांचे में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व हो : इंडिया टुडे समूह की उपाध्यक्ष कली पुरी

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) इंडिया टुडे समूह की उपाध्यक्ष कली पुरी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेतृत्व ढांचे में महिलाओं के मजबूत प्रतिनिधित्व का आह्वान किया है।

सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित स्वयंसेवक रमेश प्रकाश की जीवनी “तन समर्पित, मन समर्पित” के लोकार्पण के अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में पुरी ने यह भी सुझाव दिया कि भ्रष्टाचार को जीवन जीने का सामान्य तरीका नहीं माना जाना चाहिए।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ उनके संवादों पर विचार करते हुए कहा कि संगठन की सादगी, अनुशासन और सौ वर्षों पर आधारित दीर्घकालिक योजना बनाने की असाधारण क्षमता उल्लेखनीय है।

उन्होंने ‘पंच परिवर्तन’ दृष्टिकोण की बात की और ‘इंडिया टुडे’ की पहल ‘सकल घरेलू व्यवहार (जीडीबी)’ का परिचय कराया, जो नागरिक अनुशासन, समावेशिता, लैंगिक दृष्टिकोण और भ्रष्टाचार जैसे विषयों पर जनमानस के व्यवहार को मापता है।

अपने संबोधन में आरएसएस सरसंघचालक भागवत ने पुरी की टिप्पणी का सीधा जवाब दिया।

सामाजिक परिवर्तन पर उन्होंने कहा, “समाज में परिवर्तन तभी आएगा जब वह स्वयंसेवक के जीवन में आएगा। केवल ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है। परिवर्तन के लिए अनुशासन, उदाहरण और अभ्यास की आवश्यकता होती है।”

महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर उन्होंने कहा, “जहां भी स्वयंसेवक होते हैं, वहां महिलाएं भी साथ होती हैं। महिलाओं के लिए 1936 में स्थापित ‘राष्ट्र सेविका समिति’ नामक एक सर्व महिला संगठन समानांतर रूप से कार्य करता है।”

भागवत ने कहा, “कई क्षेत्रों में महिलाएं निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं, उन्हें मुख्य बैठकों में आमंत्रित किया जाता है और उनके प्रस्तावों को शामिल किया जाता है। समाज के पचास प्रतिशत को इससे बाहर नहीं रखा जा सकता।”

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में प्रक्रियाएं अलग-अलग होती हैं, लेकिन उन्होंन इसे संघ की अनुकूलनशील और विकासशील प्रकृति का प्रतीक बताया।

उन्होंने संतुलन के महत्व पर भी जोर दिया। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “राष्ट्र सेवा कभी पारिवारिक कर्तव्यों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधाभासी नहीं।”

भाषा प्रशांत नरेश

नरेश

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