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Wednesday, August 20, 2025

बदलाव के चुनाव को अस्त-व्यस्त करने के लिए एसआईआर की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की गई: दीपांकर भट्टाचार्य

Newsबदलाव के चुनाव को अस्त-व्यस्त करने के लिए एसआईआर की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की गई: दीपांकर भट्टाचार्य

नवादा (बिहार),19 अगस्त (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बिहार इस बार बदलाव का चुनाव है, जिसे अस्त-व्यस्त करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की गई है।

उन्होंने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान यहां संवाददाताओं से कहा कि बिहार के सभी वर्ग के लोग समझ चुके हैं कि वोट चोरी करने की साजिश रची जा रही है।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के साथ लोगों की उम्मीद जुड़ गई है। बिहार का चुनाव बदलाव का चुनाव होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में पिछले 20 साल से भाजपा-जद(यू) सरकार है। यहां बात तो बड़ी-बड़ी हुई, लेकिन यहां के हालात बदतर हैं। यहां बेरोजगारी, गरीबी है और बढ़ते कर्ज के संकट के चलते पलायन चरम पर है।’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘बिहार में आज अपराधियों का राज है। हम सबने वो वीडियो देखा होगा- जिसमें अपराधी पटना के अस्पताल में घुसे और गोली मारकर निकल गए।’’

उनका कहना था, ‘‘यह चुनाव बिहार में बदलाव का है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने चुनाव अस्त-व्यस्त करने के लिए एसआईआर के रूप में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की। इस प्रक्रिया में लोगों का नाम काटा जाने लगा और जनता से कहा गया कि इसमें सिर्फ घुसपैठियों का नाम काटा जाएगा।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘ 65 लाख लोगों की सूची में एक भी घुसपैठिया नहीं है। एसआईआर के नाम पर जिंदा लोगों को मार दिया गया और जो मजदूर बाहर कमाने गए हैं, उनका भी नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया।’’

भट्टाचार्य ने कहा कि आज बिहार का हर तबका समझ चुका है कि एसआईआर के नाम पर ‘वोट चोरी’ की साजिश रची जा रही है।

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रमुख अलका लांबा ने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और फिर ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की। अब देश में वोट के अधिकार को बचाने के लिए वे ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर हैं। सड़क से संसद तक हमारी एक ही गूंज है- ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’।’’

उन्होंने कहा,‘‘हमारी बहुत सीधी सी मांग है कि इलेक्ट्रॉनिक मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज दिया जाए।’’ अलका ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा देने से डर रहा है।

भाषा हक नरेश संतोष

संतोष

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