राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 को रद्द करने का बड़ा फैसला सुनाया है। इस भर्ती के तहत 859 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन पेपर लीक प्रकरण में कई ट्रेनी एसआई पकड़े जाने के बाद से ही पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में थी।
जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने 14 अगस्त को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अब करीब एक साल बाद, 13 अगस्त को दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया रद्द करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट किया था कि वह इस स्टेज पर भर्ती को रद्द नहीं करना चाहती। वहीं, चयनित अभ्यर्थियों ने भी भर्ती रद्द करने का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद कोर्ट ने पेपर लीक और भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियों को गंभीर मानते हुए यह निर्णय सुनाया।
सरकार की ओर से दलीलें
भर्ती को बचाने की कोशिश में राज्य सरकार ने अदालत में कहा था कि पेपर लीक में केवल 68 अभ्यर्थियों की मिलीभगत सामने आई है। इनमें 54 ट्रेनी एसआई, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार अभ्यर्थी शामिल हैं। सरकार ने कहा था- हम पेपर लीक में शामिल लोगों को पकड़ रहे हैं। हमारे लिए भर्ती में सही और गलत की पहचान करना संभव है।
फैसला निराशाजनक साबित
भर्ती को रद्द करने की मांग को लेकर युवाओं का गुस्सा लंबे समय से सामने आ रहा था। हाईकोर्ट के फैसले को कई अभ्यर्थी राहत के तौर पर देख रहे हैं क्योंकि अब नए सिरे से भर्ती की संभावना बढ़ गई है। वहीं, जिन अभ्यर्थियों का चयन हो चुका था, उनके लिए यह फैसला निराशाजनक साबित हुआ है।
Q1. राजस्थान हाईकोर्ट ने एसआई भर्ती 2021 को क्यों रद्द किया?
हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों और पेपर लीक प्रकरण को गंभीर मानते हुए यह भर्ती रद्द कर दी।
Q2. इस भर्ती में कितने पदों के लिए परीक्षा हुई थी?
इस भर्ती के तहत 859 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी।
Q3. पेपर लीक मामले में कितने अभ्यर्थियों की संलिप्तता पाई गई थी?
सरकार के अनुसार, 68 अभ्यर्थी पेपर लीक में शामिल थे, जिनमें 54 ट्रेनी एसआई, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार थे।
Q4. सरकार और चयनित अभ्यर्थियों का पक्ष क्या था?
सरकार ने कहा था कि भर्ती में केवल कुछ ही अभ्यर्थी दोषी हैं, इसलिए पूरी भर्ती रद्द नहीं होनी चाहिए। वहीं चयनित उम्मीदवारों ने भी भर्ती रद्द करने का विरोध किया था।
Q5. इस फैसले से किसे राहत और किसे नुकसान हुआ है?
जिन अभ्यर्थियों ने चयन प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई थी, उन्हें राहत मिली है। जबकि चयनित अभ्यर्थियों के लिए यह फैसला निराशाजनक साबित हुआ है।