जयपुर। राजस्थान में अवैध खनन की बढ़ती स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने बुधवार को टीएन गोडावर्मन मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने रणथंभौर से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर जवाब देने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर खनन की यही स्थिति बनी रही, तो इसका पर्यावरण और वन्यजीवों पर गंभीर असर पड़ेगा।
कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य सरकार से खनन प्रभावित क्षेत्रों की पूरी रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी। रणथंभौर रिजर्व की 500 मीटर परिधि में 38 होटल और रिसॉर्ट बनाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में सामने आया है। गौरव कुमार बंसल की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में बताया गया कि इनमें से कई निर्माण अवैध तरीके से हुए हैं।
अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी जताई और राज्य सरकार से जवाब तलब किया। कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई कि रणथंभौर के आसपास ईको-सेंसिटिव जोन में लगातार होटल और फार्म हाउस का निर्माण किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण और वन्यजीवों पर गंभीर असर पड़ सकता है। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा है और मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
माइनिंग लॉबी पर नियंत्रण नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में अवैध माइनिंग और रणथंभौर अभयारण्य क्षेत्र में हो रहे निर्माण पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो जंगल और वन्यजीव दोनों खतरे में पड़ जाएंगे। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने टिप्पणी की कि राजस्थान में माइनिंग लॉबी बहुत मजबूत है और प्रशासन उस पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा है। यह टिप्पणी रणथंभौर अभयारण्य से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों से तुरंत प्रभावी कदम उठाने और पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
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