राजस्थान में भाजपा सरकार के मौजूदा कार्यकाल में अब तक केवल 9 बोर्ड और आयोगों में ही राजनीतिक नियुक्तियां हो पाई हैं। हाल ही में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उम्मीद थी कि कुछ और नियुक्तियां भी जल्द होंगी, लेकिन यह प्रक्रिया फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है।
राज्य में लंबे समय से वरिष्ठ नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों के जरिए एडजस्ट करने की योजना बनाई जा रही थी। इनमें ऐसे नेता भी शामिल हैं, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे या जिन्हें टिकट नहीं मिला था। भाजपा आलाकमान की मंशा थी कि विपक्ष के खिलाफ इन बड़े नेताओं को खड़ा किया जाए और संगठनात्मक संतुलन बनाए रखा जाए। हालांकि, मौजूदा हालात में यह पूरा मामला अटका हुआ है और पार्टी के भीतर नियुक्तियों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
कई दिग्गजों के नाम चर्चाओं में
सूत्रों के अनुसार जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, हाउसिंग बोर्ड, आरटीडीसी अध्यक्ष, बीस सूत्री कार्यक्रम उपाध्यक्ष और महिला आयोग की अध्यक्ष जैसे पदों पर जल्द नियुक्तियां की जानी है। इन पदों के लिए पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं। चर्चा में शामिल नेताओं में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, सतीश पूनिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया, कांग्रेस से भाजपा में आए महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, सुमन शर्मा और पूजा कपिल मिश्रा शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक सतीश पूनिया का नाम राष्ट्रीय संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए भी आगे बढ़ाया जा सकता है। राज्य की राजनीति में इन नियुक्तियों को लेकर असंतोष और उत्सुकता दोनों देखी जा रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि जल्द ही इन पदों पर चेहरों की घोषणा होगी।
60 से ज्यादा पद खाली
जानकारी के अनुसार, अब तक केवल 9 बोर्ड-आयोगों में ही अध्यक्षों की नियुक्ति हो पाई है। सरकार ने देवनारायण बोर्ड, राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति वित्त विकास आयोग, माटी कला बोर्ड, किसान आयोग, राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड, धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण, सैनिक कल्याण बोर्ड और राज्य वित्त आयोग में नियुक्तियां की हैं। प्रदेश में वर्तमान में 60 से ज्यादा बोर्ड और आयोग अस्तित्व में हैं, लेकिन इनमें अधिकांश पद अब तक खाली हैं।