24.6 C
Jaipur
Friday, October 31, 2025

एजुकेशन को इतिहास के विवाद निकालिए और भविष्य के लिए सोचिए, डिजिटल शिक्षा में राजस्थान क्यों पिछड़ रहा है?

OP-EDएजुकेशन को इतिहास के विवाद निकालिए और भविष्य के लिए सोचिए, डिजिटल शिक्षा में राजस्थान क्यों पिछड़ रहा है?

राजस्थान में जब भी शिक्षा के स्तर को सुधारने की बात आती है तो हम सिलेबस और उसके इतिहास के विवाद में उलझ जाते हैं। बेशक, इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ पर बात होनी चाहिए और सिलेबस को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। लेकिन, जब हम एआई के युग की बात कर रहे हैं तो इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा की स्थिति आज भी गंभीर चुनौतियों से गुजर रही है।

शिक्षा मंत्रालय की ताजा UDISE+ 2024-25 रिपोर्ट के मुताबिक, जहां राज्य के निजी स्कूलों में 83% से अधिक कंप्यूटर, 84% से अधिक इंटरनेट और 95.8% बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहीं सरकारी स्कूल इन्हीं सुविधाओं के मामले में काफी पीछे हैं- यहां केवल 39.7% कंप्यूटर, 64.5% इंटरनेट और 90.9% बिजली की उपलब्धता है। सरकारी स्कूलों के लिए लाइब्रेरी में भी यह आंकड़ा 83.6% है. इससे साफ है कि शहरी-ग्रामीण, सरकारी-निजी और आर्थिक-तकनीकी आधार पर एक बड़ा अंतर मौजूद है।

राजस्थान का एजुकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर बीते कुछ वर्षों में डिजिटल परिवर्तन, स्मार्ट क्लासरूम और ICT प्रयोगशालाओं जैसी योजनाओं से जरूर जुड़ा है। राज्य सरकार को इस दिशा में हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से प्रदेश के लिए लगभग 3,900 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की मंजूरी भी मिली है। इस राशि से 3,834 स्मार्ट क्लासरूम, 2,657 ICT प्रयोगशालाएं और 2,256 साइंस लैब स्थापित होंगी।

नवाचार और डिजिटलाइजेशन से बदलता राजस्थान का शिक्षा परिदृश्य - Dainik  Navajyoti Rising Rajasthan

सिर्फ बजटयोजनाओं से कुछ नहीं होगा

राज्य की अधिकांश सरकारी स्कूलों में आज भी शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट स्पीड, और स्थानीय भाषा में सामाग्री की कमी महसूस की जाती है। राज्य में कई बच्चे ऐसे क्षेत्र में हैं, जहां बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी अब भी अनियमित है। डिजिटल ग्रासरूट तक पहुंच न होने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा फर्क दिखता है। ऐसे वक्त में केरल का मॉडल एक लर्निंग हो सकता है। केरल भारत का पहला पूर्ण डिजिटल साक्षर राज्य बन गया है। केरल में शिक्षा विभाग के तहत ‘केरल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड टेक्नोलॉजी फॉर एजुकेशन’ (KITE) ने स्कूल स्तर पर AI, रोबोटिक्स, गेमिंग, विजुअल इफेक्ट्स, एनीमेशन, फैक्ट-चेकिंग, संगीत, डिजिटल कला जैसी तकनीकी कोर किताबें तैयार की हैं। तीसरी कक्षा से ही छात्र कंप्यूटर और डिजिटल एप्लीकेशन के साथ सीखना शुरू करते हैं।

Image

हर पंचायत स्तर पर होना चाहिए डिजिटल साक्षरता केंद्र

केरल सरकार ने हर स्कूल में हाईटेक लैब, डिजिटल बोर्ड, एक्सआर (Extended Reality) और एवीजीसी (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स) को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है। गांव-शहर की खाई बहुत हद तक कम हो गई है। पंचायत स्तर पर डिजिटल साक्षरता केंद्र बने हैं और राज्य का हर बच्चा कंप्यूटर, स्मार्टफोन और ऑनलाइन सेवाओं के इस्तेमाल में पारंगत हो रहा है।

राजस्थान: शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों से धार्मिक नेताओं को व्याख्यान के  लिए आमंत्रित करने को कहा

क्या राजस्थान को भी यही मॉडल अपनाना चाहिए?

  • राजस्थान में डिजिटल शिक्षा को मजबूत करने के लिए सिर्फ स्मार्ट क्लासरूम या नई किताबें ही काफी नहीं।
  • बल्कि राज्य के हर कोने तक कनेक्टिविटी, स्थानीय बोली और जरूरत के हिसाब से कंटेंट, हर वर्ग तक प्रशिक्षण, और समाजप्रशासन का साझा सहयोग चाहिए।
  • राज्य सरकार को चाहिए कि अब सिर्फ ICT लैब या क्लासरूम नहीं, बल्कि केरल की तरह संशोधित ICT किताबें, डिजिटल आर्ट, म्यूजिक, एनीमेशन, और व्यावहारिक AI जैसी पहल को भी प्राथमिकता दे।
  • शिक्षकों के लिए लगातार ट्रेनिंग, शिक्षा में तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति, हर जिले में मॉड्यूलर डिजिटल हब और पंचायत स्तर पर सामुदायिक साक्षरता अभियान चलाने की जरूरत है।
  • साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त हिस्सेदारी, बजट का सही उपयोग, और सामुदायिक जागरूकता को भी मजबूत किया जाना चाहिए।

भारत का IT उद्योग 350 अरब डॉलर की ओर से बढ़ रहा, हमें भी कदमताल करना होगा। आज जब भारत का आईटी उद्योग 350 अरब डॉलर की ओर बढ़ रहा है, डेटा सेंटर बाजार 10 अरब डॉलर पहुंचने वाला है, एआई के कारण आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी हो रही है, तो राजस्थान जैसे राज्य को भी शिक्षा के माध्यम से डिजिटल भारत की कहानी में अपना नाम प्रमुखता से दर्ज कराना चाहिए।

किसी भी राज्य के लिए डिजिटल शिक्षा क्षेत्र में केरल का मॉडल नई उम्मीद और प्रेरणा है। जरूरत है उसे अपने संदर्भ में ढालकर रफ्तार देने की। ताकि न केवल राज्य, बल्कि देश के हर कोने के बच्चे भविष्य की अर्थव्यवस्था, नौकरियों और समाज के लिए तैयार हो सकें।

यह भी पढ़ें: RIIMS, मेडिकल टूरिज्म से पहले आदिवासी क्षेत्रों में हेल्थकेयर पर ध्यान दो सरकार, क्यों बंद किया ट्राइबल क्षेत्रों के लिए ट्रैवल अलाउंस?

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles