जयपुर। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के तहत सवाई माधोपुर और करौली जिले की सीमा पर प्रस्तावित डूंगरी बांध के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार को जिले के चकेरी गांव में इस विरोध में एक विशाल महापंचायत आयोजित की गई। महापंचायत में डूंगरी बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के हजारों ग्रामीणों के साथ ही आसपास के गांवों के लोग भी शामिल हुए। लोगों ने सरकार के फैसले के खिलाफ एकजुट आवाज़ उठाई और डूंगरी बांध को रद्द करने की मांग की।
इस मौके पर पूर्व विधायक राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा कि ग्रामीणों की एकजुटता के आगे सरकार को डूंगरी बांध को रद्द करना ही पड़ेगा। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर एकजुट रहें और अपने हक के लिए संघर्ष करते रहें। ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे और भी बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
जनता से की एकजुट रहने की अपील
इस कड़ी में रविवार को चकेरी गांव में आयोजित महापंचायत में पूर्व विधायक राजेन्द्र गुढ़ा ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह बांध किसी भी सूरत में नहीं बनना चाहिए। गुढ़ा ने कहा कि “योजनाएं जनता के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन इस सरकार में अनुभव की कमी है, जिसके चलते ऐसे काम किए जा रहे हैं, जिससे जनता को नुकसान हो रहा है। भले ही आज आपके प्रतिनिधि आपके साथ नहीं हों, लेकिन आपकी एकजुटता के आगे उन्हें झुकना पड़ेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “आज नहीं तो कल, किरोड़ी लाल मीणा भी आपके साथ खड़े होने को मजबूर होंगे। बस आप सबको एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़नी है, तो सरकार को झुकना ही पड़ेगा और डूंगरी बांध को रद्द करना ही पड़ेगा।” महापंचायत में डूंगरी बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के हजारों ग्रामीण शामिल हुए और उन्होंने गुढ़ा की बातों का समर्थन करते हुए एकजुटता का प्रदर्शन किया।
76 से 300 गांव हो सकते हैं विस्थापित
ग्रामीणों ने कहा कि अगर यह बांध बनाया गया तो सवाई माधोपुर और करौली जिले के 76 गांवों की जमीन, जंगल और गांव पूरी तरह डूब सकते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार डूंगरी बांध बनने पर फिलहाल 76 गांवों को विस्थापित किया जाएगा। लेकिन भविष्य में इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद करीब 300 गांवों के लोग विस्थापित होने के खतरे में होंगे।
महापंचायत में शामिल ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार, साथ ही सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को विकास के नाम पर गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी जमीन और जीवन पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है, लेकिन उनकी आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे और भी बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
ग्रामीणों ने कहा डूंगरी बांध से खतरा,
महापंचायत में ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार डूंगरी बांध के नाम पर स्थानीय लोगों को बेघर कर रही है और बांध का पानी स्थानीय जरूरतों के बजाय औद्योगिक परियोजनाओं को देने की योजना बना रही है। ग्रामीणों ने कहा कि यह सरकार का विकास नहीं बल्कि उनके जमीन और पहचान पर बड़ा हमला है। उन्होंने मांग की कि डूंगरी बांध परियोजना को तुरंत रद्द किया जाए और स्थानीय संसाधनों का उपयोग सबसे पहले स्थानीय जरूरतों के लिए किया जाए। महापंचायत में ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों के बावजूद डूंगरी बांध को आगे बढ़ाती है, तो वे सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।