सीकर जिले में शिक्षा विभाग की हालिया तबादला सूची ने सियासी हलचल मचा दी है। पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी प्राचार्यों की तबादला सूची को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डोटासरा ने कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ से प्राचार्यों के तबादले द्वेषपूर्ण और अनुचित तरीके से किए गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्षों से ईमानदारी से कार्य कर रहे प्राचार्यों को भी निशाना बनाया गया है, जो साफ तौर पर यह दर्शाता है कि विभाग राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है। डोटासरा ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर इस मामले की समीक्षा करने की मांग की है। डोटासरा ने कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार नहीं है, बल्कि सरकार की जातीय मानसिकता को भी सामने ला रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राजनीतिक हस्तक्षेप इसी तरह जारी रहा तो शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा हो जाएगा।
4,527 प्रिंसिपलों की तबादला सूची जारी
राजस्थान में शिक्षा विभाग द्वारा सोमवार देर रात 4,527 प्रिंसिपलों की तबादला सूची जारी होने के बाद डोटासरा ने आरोप लगाया कि यह सूची पूरी तरह पारदर्शिता से परे है और इसमें सत्ता पक्ष की मनमर्जी साफ झलकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने नजदीकी विधायकों और नेताओं की सिफारिशों को तरजीह दी, जबकि योग्य और ईमानदार प्राचार्यों के साथ अन्याय किया गया।
जिले में कई प्रिंसिपल ऐसे आए हैं जिनके नाम न तो विधायकों की डिजायर सूची में थे और न ही शिक्षक संघ राष्ट्रीय या अन्य संगठनों की सूची में शामिल थे। इसके बावजूद इन प्रिंसिपलों को जिले की प्रमुख स्कूलों में तैनात किया गया। साथ ही, कई विधायकों के नजदीकी प्रिंसिपल दूसरे ब्लॉकों में पोस्टिंग होने के बावजूद सीकर जिले में आने पर भी चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं।
सीकर में 200 से ज्यादा प्रधानाचार्यों के तबादले
सीकर जिले के 200 से ज्यादा प्रधानाचार्यों को विभिन्न जिलों में तैनात किया गया है। सबसे ज्यादा हलचल पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के इलाके की स्कूलों में देखी जा रही है। यहां के लगभग 80 प्रतिशत प्रधानाचार्यों का बॉर्डर वाले जिलों जैसे बाड़मेर, सिरोही, जैसलमेर, नागौर, जालौर, बूंदी और बांरा में तबादला किया गया।
सूत्रों के अनुसार, इनमें ज्यादातर ऐसे प्रधानाचार्य शामिल हैं जिनकी सेवा में अभी दो साल या अधिक समय बचा था या जो अन्य जिलों के मूल निवासी थे। शिक्षक संगठनों ने आरोप लगाया कि महिला और दिव्यांग कर्मचारियों के भी जानबूझकर तबादले दूसरे जिलों में किए गए हैं। वहीं, सीकर जिले के कई स्कूलों में अभी भी प्रधानाचार्यों के सैकड़ों पद रिक्त हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।