अब CAG की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. कर्जे के बोझ दबे राजस्थान में आबकारी विभाग में अनियमितता की बात सामने आई है 31 मार्च 2022 तक की ऑडिट रिपोर्ट में ‘राज्य आबकारी शुल्क के आरोपण एवं संग्रहण’ पर ऑडिट की गई. राजस्थान राज्य आबकारी एवं मद्य निषेध नीति (नीति), 2020-21 के प्रावधानों के अनुपालन में पाई गई प्रमुख अनियमितताएं पाई गई हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश को 195.42 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ है.
► जिला आबकारी अधिकारियों ने नीति के प्रावधानों का पालन नहीं किया, जिसके कारण देशी मदिरा और राजस्थान निर्मित मदिरा के कम उठाए गए मासिक गारंटी कोटे पर 23.88 करोड़ का राजस्व कलेक्शन कम हुआ.
► जिला आबकारी अधिकारियों द्वारा नीति के प्रावधानों का पालन न करने के कारण आबकारी शुल्क और मूल लाइसेंस शुल्क की अंतर राशि के 24.65 करोड़ का राजस्व कम संग्रहित हुआ. खुदरा और खुदरा लाइसेंसधारियों से IMFL और बीयर पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क की 72.88 करोड़ रुपये की अंतर राशि की वसूली नहीं हो पाई.
► जिला आबकारी अधिकारियों ने नीतिगत प्रावधानों को लागू नहीं किया और आबकारी आयुक्त के मौजूदा निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप आईएमएफएल और बीयर की कम उठाई गई मात्रा पर 15.25 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की वसूली नहीं हो पाई.
► जिला आबकारी अधिकारियों द्वारा मौजूदा नियम/अधिसूचना का पालन न करने के परिणामस्वरूप रेस्टोरेंट बार लाइसेंसधारियों से 77.50 लाख रुपये के लाइसेंस शुल्क की कम वसूली हुई.
इधर, कर्ज के बोझ तले दब रहा राजस्थान
राजस्थान की वित्तीय स्थिति दबाव में है और वो भी इतनी की दैनिक खर्च के लिए भी कर्ज पर निर्भरता बढ़ गई है. इससे राज्य का राजकोषीय घाटा, कर्ज और ब्याज लागत निरंतर बढ़ रही है. CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान उन 11 राज्यों में हैं (आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मिजोरम, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल समेत), जिन्होंने अपने दैनिक खर्च को पूरा करने के लिए भी कर्ज का इस्तेमाल किया.राज्य को रोजमर्रा के खर्च के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. वित्त वर्ष 2025-26 में राज्य को कुल व्यय (कर्ज चुकाने को छोड़कर) के लिए अनुमानित 3 लाख 79 हजार 617 करोड़ रुपए की जरूरत है, जबकि कर्ज की अदायगी के लिए 1 लाख 57 हजार 452 करोड़ रुपये अलग से खर्च किए जाएंगे.
कैग की चेतावनी को भी समझिए
यहीं नहीं, CAG रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि अगर राजस्थान और ऐसे राज्य अपनी राजकोषीय जिम्मेदारियों में सुधार नहीं करते हैं, तो भविष्य में वित्तीय संकट की स्थिति बन सकती. क्योंकि राज्य का पैसा तो कर्ज और उसका ब्याज चुकाने में ही जा रहा है. CAG की सलाह है कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को बेहतर करना होगा.
आमदनी तो बढ़ी, लेकिन कर्ज भी
हालांकि राजस्थान की सालाना आय भी बढ़ रही है. 2025-26 के लिए राजस्थान की आमदनी (कर्ज को छोड़कर) अनुमानित 2,94,973 करोड़ रुपए है, जो पिछले साल के मुकाबले 12% ज्यादा है. लेकिन दिक्कत यह है कि कुल खर्च आमदनी से अधिक है, इसी के चलते वित्तीय घाटा अधिक रहता है. 2025-26 के लिए यह घाटा 31 हजार 9 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है. जबकि राज्य का राजकोषीय घाटा 2025-26 में 4.3% GSDP (रू. 84,644 करोड़) अनुमानित है, जो केंद्र सरकार की 3% सीमा से अधिक है. गैर-विकास मदों में कर्ज पर ब्याज अदायगी साल-दर-साल बढ़ रही है. 2025 में यह राशि पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी ज्यादा यानी 2 लाख 70 हजार 457 करोड़ रुपए रही.


