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Wednesday, October 8, 2025

फर्श से अर्श तक: पिता चलाते थे ऊंटगाड़ी, बेटे बने IAS और प्राचार्य! रुला देगी ये कहानी

Newsफर्श से अर्श तक: पिता चलाते थे ऊंटगाड़ी, बेटे बने IAS और प्राचार्य! रुला देगी ये कहानी

जीवन में कठिन संघर्ष ही सफलता की सबसे मजबूत नींव रखता है। चूरू के श्रवण कुमार सैनी और उनके भाइयों की कहानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उनकी कहानी किसी फिल्म जैसी लग सकती है, लेकिन पूरी तरह सच्ची और प्रेरणादायक है। चार भाइयों के माता-पिता कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन उन्होंने बच्चों को पढ़ाई और मेहनत का महत्व सिखाया। Churu News की रिपोर्ट के अनुसार, आज इस परिवार के चारों बेटे समाज में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं।

श्रवण कुमार सैनी बताते हैं कि उनके परिवार में सात भाई-बहन थे। उनके पिता एक छोटे किसान थे और अपनी आजीविका चलाने के लिए ऊंट गाड़ी भी चलाते थे। माता-पिता दोनों कभी स्कूल नहीं गए थे। शुरुआती पढ़ाई के दिनों में श्रवण और उनके भाई खेतों में माता-पिता की मदद करते, गाय-भैंस चराते और फिर स्कूल जाते। Churu News की रिपोर्ट के अनुसार, परिवार की कठिन आर्थिक स्थिति और पिता के संघर्ष ने बेटों में पढ़ाई का जुनून पैदा किया।

चूरू के चार भाइयों की सफलता

चारों भाइयों ने अपनी शुरुआती पढ़ाई स्थानीय सरकारी स्कूल से की और फिर चूरू के लोहिया कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। Churu News की रिपोर्ट के अनुसार, यह सब उनके कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा था। आज ये सभी भाई समाज में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं और अपने परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं।

सबसे बड़े भाई डॉ. नवरंग लाल सैनी ने IAS बनकर परिवार का नाम रोशन किया.

दूसरे भाई छगनलाल सैनी RTDC (राजस्थान पर्यटन विकास निगम) में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं.

तीसरे भाई गोविंद सैनी RTDC में चेयरमैन थे (जिनका अब निधन हो चुका है).
सबसे छोटे भाई श्रवण कुमार सैनी खुद आज राजकीय विधि महाविद्यालय, चूरू के प्राचार्य हैं.
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श्रवण कुमार सैनी परिवार की प्रेरक कहानी

श्रवण कुमार सैनी के अनुसार, उनके माता-पिता का संघर्ष और प्रेरणा ही बच्चों के लिए सफलता का सबसे बड़ा मंत्र बन गई। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने सही निर्णय लिए और लगातार मेहनत की। Churu News की रिपोर्ट के अनुसार, इसी वजह से पूरा परिवार सफलता की नई ऊँचाइयों तक पहुँच सका। यह कहानी हमें सिखाती है कि साधन की कमी कभी भी सफलता में बाधा नहीं बनती, अगर हौसले बुलंद हों।

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