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Wednesday, October 8, 2025

माही-बांसवाड़ा बनेगा देश का ऊर्जा सूरज, PM मोदी करेंगे 2,800 मेगावाट प्रोजेक्ट की नींव

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राजस्थान अब देश में परमाणु ऊर्जा का बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की यह परियोजना “माही परमाणु ऊर्जा केंद्र” के नाम से जानी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इसकी नींव रखेंगे।

इस केंद्र का निर्माण करीब 42 हजार करोड़ रुपये की लागत से होगा और इसकी क्षमता 2,800 मेगावाट होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, पहली 700 मेगावाट की यूनिट 2032 तक काम करना शुरू कर देगी। इसके बाद बाकी यूनिट भी चालू होंगी और 2036 तक पूरा केंद्र पूरी तरह काम करेगा। सभी यूनिट चालू होने के बाद राजस्थान की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता 5,900 मेगावाट तक पहुंच जाएगी, जिससे राज्य और देश की ऊर्जा जरूरतों को नई ताकत मिलेगी।

हजारों को रोजगार के अवसर

माही नदी के किनारे 623 हेक्टेयर में बनने वाले इस प्रोजेक्ट में चार आधुनिक यूनिट होंगी। यह भारत में विकसित ‘प्रेसराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर’ तकनीक से काम करेगा। निर्माण के समय करीब 10 से 15 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, जबकि संचालन शुरू होने के बाद लगभग 5 हजार लोगों को स्थायी नौकरी मिलेगी। सुरक्षा के लिए मल्टी-लेयर सिस्टम और वेस्ट मैनेजमेंट की उन्नत व्यवस्था की जाएगी।

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राजस्थान को मिलेगी भरोसेमंद बिजली

राजस्थान पहले से ही सोलर और पवन बिजली बनाने में आगे है, लेकिन ये बिजली मौसम और समय पर निर्भर रहती है। अब माही-बांसवाड़ा परमाणु बिजली परियोजना से लगातार और भरोसेमंद बिजली मिलेगी। इस बिजली का बड़ा हिस्सा राजस्थान में ही इस्तेमाल होगा। इससे घरों में बिजली की किल्लत कम होगी और उद्योग और खेती-बाड़ी के लिए भी स्थायी बिजली मिलेगी।

वागड़ क्षेत्र में विकास की नई किरण

बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के लोग लंबे समय से बेरोजगारी और विकास की कमी झेल रहे हैं। अब माही-बांसवाड़ा परियोजना से यहां बदलाव की उम्मीद है। स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा, साथ ही सड़क, स्वास्थ्य और स्कूल जैसी सुविधाएं भी सुधरेंगी। बिजली पहुंचने से छोटे उद्योग और खेती से जुड़े व्यवसाय भी तेजी से बढ़ेंगे।

परमाणु ऊर्जा: भारत का साफ़ और भरोसेमंद रास्ता

भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने में परमाणु ऊर्जा सबसे भरोसेमंद और साफ़ विकल्प है। विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु बिजली बनाने में कार्बन उत्सर्जन बहुत कम होता है, इसलिए यह पारंपरिक बिजलीघरों की तुलना में पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।

यह भी पढ़ें: बांसवाड़ा बनेगा देश का ऊर्जा हब: 2,800 मेगावाट का विशाल परमाणु बिजलीघर

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