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Wednesday, October 8, 2025

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस: दिल्ली-NCR का दम घोट रहा प्रदूषण, भरतपुर का केवलादेव बना ‘ग्रीन लंग्स’

OP-EDविश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस: दिल्ली-NCR का दम घोट रहा प्रदूषण, भरतपुर का केवलादेव बना 'ग्रीन लंग्स'

World Environmental Health Day 2025: भरतपुर। एक ओर जहां दिल्ली-एनसीआर, भिवाड़ी और आगरा जैसे शहर जहरीली हवा से जूझ रहे हैं, वहीं भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान शहर के लिए जीवनदायिनी हवा और पानी का स्रोत बनकर सामने आया है। यह राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर के ‘ग्रीन लंग्स’ की तरह काम कर रहा है, जिससे यहां की हवा साफ, ठंडी और ताजी बनी हुई है।

भरतपुर में सबसे साफ हवा, AQI में अव्वल

हवा की गुणवत्ता मापने वाले एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, भरतपुर का AQI 98 दर्ज किया गया है, जो ‘संतोषजनक’ श्रेणी में आता है। इसकी तुलना में भिवाड़ी का AQI 134, आगरा 147, दिल्ली 163 और जयपुर 99 रहा। यानी भरतपुर अभी भी एकमात्र ऐसा प्रमुख शहर है जहां सांस लेना अपेक्षाकृत सुरक्षित है।

Bharatpur News Keoladeo National Park is losing its identity | Bharatpur  News:केवलादेव नेशनल राष्ट्रीय उद्यान की खत्म हो रही है पहचान,कम हो गया 3  वर्ग किलोमीटर वेटलैंड | Hindi News ...

हरियाली और पक्षियों से भरा प्राकृतिक खजाना

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 375 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां और 400 से अधिक प्रकार की वनस्पतियां मौजूद हैं। ये पेड़–पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे भरतपुर की हवा स्वच्छ रहती है। यहां का तापमान भी शहर की तुलना में 3–4 डिग्री सेल्सियस कम रहता है, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग और अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव जैसे खतरे भी कम होते हैं।

रणथंभौर के पास केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

जल संरक्षण में भी अहम भूमिका

केवलादेव उद्यान वेटलैंड के रूप में भी भरतपुर के लिए वरदान साबित हो रहा है। हर साल यहां लगभग 500 एमसीएफटी पानी जमा होता है, जो धीरे-धीरे रिसकर आसपास के 20–25 गांवों और भरतपुर शहर के भूजल स्तर को रिचार्ज करता है। इस कारण यहां जल संकट अन्य शहरों की तुलना में कम है और पानी की उपलब्धता अपेक्षाकृत बेहतर बनी हुई है।

1. भरतपुर की हवा इतनी साफ क्यों है जबकि आसपास के शहरों में प्रदूषण अधिक है?
भरतपुर की हवा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की हरियाली और जैव विविधता के कारण साफ है। यहां 400 से ज्यादा वनस्पतियां और 375+ पक्षियों की प्रजातियाँ मौजूद हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं। इसी कारण भरतपुर का AQI अन्य शहरों से बेहतर है।

2. AQI में भरतपुर का स्कोर क्या है और यह किस श्रेणी में आता है?
हालिया आंकड़ों के अनुसार भरतपुर का AQI 98 है, जो ‘संतोषजनक’ श्रेणी में आता है। इसके मुकाबले दिल्ली (163), आगरा (147) और भिवाड़ी (134) जैसे शहर अधिक प्रदूषित हैं।

3. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर के पर्यावरण में कैसे योगदान देता है?
यह उद्यान ‘ग्रीन लंग्स’ की तरह काम करता है। यहां के पेड़–पौधे कार्बन डाइऑक्साइड सोखते और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। साथ ही, यह जल संरक्षण, तापमान नियंत्रण और जैव विविधता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

4. क्या केवलादेव उद्यान सिर्फ पक्षियों के लिए ही प्रसिद्ध है?
नहीं, केवलादेव सिर्फ एक पक्षी अभयारण्य नहीं है, यह एक वेटलैंड भी है जो जल संरक्षण करता है, भूजल स्तर को रिचार्ज करता है और पूरे क्षेत्र के इकोसिस्टम को संतुलित बनाए रखता है।

5. क्या केवलादेव जैसे वेटलैंड मॉडल को अन्य शहरों में भी अपनाया जा सकता है?
हाँ, बिल्कुल। केवलादेव एक आदर्श मॉडल है जो दिखाता है कि हरियाली और वेटलैंड्स कैसे प्रदूषण और जल संकट से लड़ने में कारगर हो सकते हैं। अन्य शहरी क्षेत्रों में भी ऐसे संरक्षण क्षेत्र बनाए जा सकते हैं।

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