जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ दायर याचिका को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि याचिकाकर्ता पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगा दिया है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि चाहें तो संबंधित पक्षकार — पीएम मोदी, अमित शाह और रविशंकर प्रसाद — याचिकाकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
जज की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति सुदेश बंसल की एकलपीठ ने कहा कि “न्याय प्राप्त करने के अधिकार को मनमानी और तथ्यहीन याचिकाएं दाखिल करने के लाइसेंस के रूप में नहीं लिया जा सकता।” अदालत ने यह भी कहा कि एक अधिवक्ता से यह अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले तथ्यों की गहन पड़ताल करे और सस्ती लोकप्रियता के लिए सनसनी फैलाने जैसे कृत्यों से बचे।
अधिवक्ता की याचिका पर सवाल
अधिवक्ता पूरणचंद्र सेन द्वारा दाखिल आपराधिक याचिका में दावा किया गया था कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है और इसके लागू होने से देश में सांप्रदायिक तनाव और अराजकता की स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने इसके खिलाफ निचली अदालत में भी परिवाद दायर किया था, जिसे पहले ही खारिज कर दिया गया था।
सरकार की दलीलें
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने अदालत में कहा कि “कोई भी कानून प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या कानून मंत्री अकेले नहीं बनाते, बल्कि यह संसद द्वारा पारित किया जाता है।” उन्होंने याचिका को कानून का दुरुपयोग बताते हुए भारी जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने भी दलील दी कि याचिकाकर्ता ने जिस अदालत में शिकायत की, वह उस न्यायिक क्षेत्र में नहीं आती थी। ऐसे में निचली अदालत द्वारा परिवाद खारिज किया जाना पूरी तरह उचित था।
अदालत ने माना आरोप भ्रामक और भड़काऊ
हाईकोर्ट ने याचिका में लगाए गए आरोपों को “पक्षकारों की छवि धूमिल करने और सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाला” बताया। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल किसी व्यक्ति की शिकायत के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि CAA से देश में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हुई