राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा अंतरिम फैसला सुनाया है। अदालत ने उन पाँच कनिष्ठ लेखाकार और तहसील राजस्व लेखाकारों को राहत दी है, जिन्हें संशोधित परिणाम जारी होने के बाद चयन सूची से बाहर कर दिया गया था। ये सभी अभ्यर्थी पिछले सात महीने से अधिक समय से सरकारी पदों पर कार्यरत थे।
हटाने की कार्रवाई पर रोक
न्यायमूर्ति मनीष शर्मा की एकल पीठ ने टिंकू कुमार मीणा और चार अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए इन कर्मचारियों को पद से हटाने की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ताओं ने उठाया सवाल
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र लोढ़ा और अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता नियमों के अनुसार विधिवत चयनित हुए थे और पिछले सात महीने से अपने पद पर सफलतापूर्वक कार्यरत थे। अचानक भर्ती परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया गया, जिससे उन्हें चयन सूची से बाहर कर दिया गया। इसके बाद कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) ने इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति की सिफारिश वापस ले ली, जिससे उनकी नौकरी पर खतरा पैदा हो गया।
भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियां
याचिकाकर्ताओं ने अदालत में तर्क दिया कि भर्ती प्रक्रिया में कई विसंगतियां थीं और उनका चयन पूरी तरह वैध था। उन्होंने एक और महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने रखा कि 62 ऐसे चयनित अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने नियुक्ति के बावजूद अभी तक जॉइन नहीं किया है, जिससे कई पद अभी भी खाली पड़े हैं। याचिकाकर्ताओं ने अपील की कि जब पहले से ही इतने पद रिक्त हैं, तो उन्हें सेवा में बने रहने दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने रोक लगाई
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को गंभीरता से सुनते हुए उनकी बर्खास्तगी पर तुरंत रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार, कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव, कोष एवं लेखा निदेशक, राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड से इस पूरे मामले पर विस्तृत जवाब तलब किया है।
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